पटना : आयकर विभाग ने बेनामी एक्ट संपत्ति मामले में पूर्व सीएम राबड़ी देवी और उनकी बेटी हेमा यादव की अवैध संपत्ति जब्त करने का आदेश जारी कर दिया है.
आयकर विभाग की एडजुकेटिंग ऑथिरिटी के स्तर से जारी इस आदेश के बाद जल्द ही इनकी संपत्ति को विभाग अपने कब्जे में ले लेगा. इनके नाम से मौजूद तीन प्लॉट को जब्त किया गया है. इनमें ढाई डिसमिल का एक प्लॉट फुलवारीशरीफ के सगुना इलाके और पौने आठ डिसमिल के दो प्लॉट धनौत (फुलवारीशरीफ) में शामिल हैं.
ये तीनों प्लॉट दूसरे लोगों के नाम से थे, जिन्होंने गिफ्ट के तौर पर राबड़ी देवी और हेमा यादव को दिया था. लेकिन जांच के दौरान पूरी हकीकत सामने आयी और बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत इन्हें जब्त किया गया है. धनौत की जमीन ललन चौधरी और सगुना की जमीन ह्रदयानंद चौधरी के नाम पर थी.
ये दोनों गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं और वे पहले लालू प्रसाद की गोशाला में काम करते थे. वर्तमान में ह्रदयानंद चौधरी राजेंद्र नगर टर्मिनल पर रेलवे विभाग में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं, जबकि ललन चौधरी विधानसभा में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं. जब्ती से पहले राबड़ी देवी और हेमा यादव से आयकर विभाग ने इस संपत्ति के बारे में कई सवाल किये थे, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला.
इन दोनों कर्मियों ने जनवरी, 2014 में अपनी-अपनी जमीन राबड़ी देवी और हेमा यादव को गिफ्ट कर दी थी. गिफ्ट के दौरान की गयी रजिस्ट्री के रुपये भी इन दोनों ने अपनी तरफ से दिये थे. सगुना में मौजूद प्लॉट राबड़ी देवी के नाम से है, जबकि धनौत के दो प्लॉट में एक राबड़ी देवी और एक हेमा यादव के नाम पर है. गिफ्ट देने वाले इन दोनों कर्मियों के पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं है. ये दोनों वर्तमान में किराये के मकान में रहते हैं.
फिर भी राबड़ी देवी और हेमा यादव को अपने प्लॉट गिफ्ट कर दिये. दोनों कर्मियों ने अपनी प्रॉपर्टी रिटर्न में भी दोनों प्लॉट का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया है. सबसे ताज्जुब वाली बात यह है कि इन दोनों कर्मियों ने एक साथ दोनों प्लॉट 2008 में खरीदे थे और दोनों ने फिर एक साथ ही इन्हें गिफ्ट भी कर दिया.
इस मामले को लेकर अगस्त और सितंबर, 2018 में राबड़ी देवी और हेमा यादव को आयकर का नोटिस भी भेजा गया था. तब इसके बाद उन्होंने आनन-फानन में इन दोनों प्लाॅट को विधायक अबु दोजाना की कंपनी मेरिडियन कंस्ट्रक्शन को बेच दिया. संपत्ति की जब्ती की कार्रवाई से बचाने के लिए ऐसा किया था.
लेकिन बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि बेनामी संपत्ति साबित होने के बाद अगर किसी ने इसे बेच भी दिया, तो इसका डीड रद्द हो जाता है. इस तरह संपत्ति बेचने के बाद भी इनका डीड रद्द हो गया और इन्हें जब्त कर लिया गया.
पहले भी जब्त हो चुकी है लालू परिवार की संपत्ति
पटना : इससे पहले भी आयकर विभाग और इडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने भी लालू परिवार की कुछ संपत्तियों को जब्त कर चुके हैं. पटना में सगुना मोड़ के पास निर्माणाधीन मॉल की जमीन के अलावा गोला रोड में तीन फ्लैट भी जब्त किये जा चुके हैं. पटना और आसपास के इलाके में अलग-अलग स्थानों पर तीन प्लॉटजब्त किये जा चुके हैं.
इसके अलावा तेज प्रताप यादव के नाम से मौजूद फर्जी कंपनी फेयरग्रो प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर एयरपोर्ट के पास मौजूद करीब सात हजार वर्गफुट में बना मकान भी आयकर जब्त कर चुका है. हालांकि, जब्त इन संपत्तियों में कुछ संपत्तियों को अंतिम रूप से जब्त करने से जुड़ा मामला फिलहाल एडजुकेटिंग ऑथिरिटी में चल रहा है. इसका फैसला भी जल्द ही आने वाला है.
आयकर विभाग की एडजुकेटिंग ऑथोरिटी ने पटना के धनौत व सगुना मोड़ पर मौजूद तीन प्लॉट जब्त करने का दिया आदेश
रेलवे में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ह्रदयानंद चौधरी और विधानसभा में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ललन चौधरी के नाम से खरीदे गये थे ये प्लॉट
गोपालगंज निवासी ये दोनों कर्मचारी पहले लालू प्रसाद की गोशाला में करते थे काम, बाद में दोनों की अलग-अलग स्थानों पर लगायी गयी नौकरी
धनौत में दो और प्लॉट हैं राबड़ी देवी के नाम पर
धनौत में जब्त हुए प्लॉट का तौजी नंबर- 5554, खाता संख्या 173 और सर्वे प्लॉट नंबर 1548 है. इस बेनामी संपत्ति के उत्तर में पौने आठ डिसमिल का एक प्लॉट और पश्चिम में इतना ही रकवा का एक दूसरा प्लॉट अब भी राबड़ी देवी के नाम पर मौजूद है. इन सभी प्लॉट की जांच चल रही है. इनमें भी कई तरह की गड़बड़ी मिलने की आशंका है. जांच के बाद इन्हें भी जब्त किया जा सकता है.
आय से अधिक संपत्ति मामला : पूर्व आइएएस अधिकारी को तीन साल की सजा
पटना : सीबीआइ-दो के विशेष जज अजय कुमार श्रीवास्तव के कोर्ट ने बुधवार को आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व आइएएस अधिकारी ब्रजकिशोर सिंह को दोषी करार दिया. साथ ही पीसी एक्ट की धारा 5(2) सह पठित धारा 5(1) (इ)एवं धारा 13(2) सह पठित धारा 13(1) (इ) के तहत तीन वर्ष की कैद की सजा सुनायी. इसके अलावा 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जज ने कहा कि जुर्माना नहीं देने की स्थिति में अभियुक्त को एक साल के साधारण कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. गौरतलब है कि वर्ष 1986 के अंतिम पखवारे में अभियुक्त ब्रजकिशोर सिंह, जो दरभंगा में आइएएस
अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, उन पर सीबीआइ ने आय से अधिक संपत्ति मामले में एफआइआर दर्ज की थी. जिन्हें सीबीआइ दो के विशेष जज अजय कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने विचार के दरमियान दोषी पाते हुए सजा सुनाई है.
आइटीआइ से हटाये गये अतिथि अनुदेशक अपने पद पर बने रहेंगे
पटना : सरकारी आइटीआइ में अतिथि अनुदेशकों को हटाये जाने को पटना हाइकोर्ट ने अवैध ठहराया है. जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ये अतिथि अनुदेशक अपने पद पर नियमित अनुदेशकों की नियुक्ति होने तक बने रहेंगे.
कोर्ट ने पूर्व के आदेशानुसार निष्कासित अवधि का 50% पारिश्रमिक का भुगतान सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. मालूम हो कि लगभग 1200 अतिथि अनुदेशकों की नियृुक्ति की गयी थी. इनको 11 मई, 2018 को हटा दिया गया था.