पटना : दो चुनाव पहले अस्तित्व में आया पटना साहिब लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव को लेकर पूरे देश की नजर टिकी है. यहां से भाजपा के मौजूदा सांसद बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी से खफा चल रहे हैं.
यह तय है कि उन्हें इस बार भाजपा अपना उम्मीदवार नहीं बनायेगी. ऐसे में सबकी नजर शत्रुघ्न सिन्हा के अगले कदम पर लगी है. भाजपा को शत्रुघ्न सिन्हा के और उन्हें पार्टी के रूख का इंतजार है. दोनों एक दूसरे के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. भाजपा से अलग होने के बाद श्री सिन्हा कांग्रेस या राजद के साथ खड़े हो सकते हैं.
वैसी स्थिति में भाजपा के भीतर उम्मीदवार के नाम पर मंथन जारी है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि बिहारी बाबू के तेवर को कम करने के लिए किसी दिग्गज उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा जायेगा. इनमें सबसे उपर केेंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के नाम की चर्चा है. भाजपा में पटना साहिब की सीट पर उम्मीदवार के नाम का फैसला सबसे अंत में होगा.
ये विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब और फतुहा विधानसभा क्षेत्र शामिल है.
कांग्रेसी खेमे में भी कई चेहरे टिकट के दावेदार
महागठबंधन में कांग्रेस पार्टी की भी इस सीट पर नजर है. पिछल दो चुनावों में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. 2009 के चुनाव में फिल्म अभिनेता शेखर सुमन को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था और 2014 में भोजपुरी फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह प्रत्याशी थे.
दोनों ही चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव जीते भाजपा उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा के मुकाबले आधा वोट ही मिल पाये. कांग्रेसी खेमे में भी कई चर्चित चेहरे टिकट के दावेदार हैं.
2009-2014 में शत्रुघ्न सिन्हा हुए विजयी
2009 में हुए परिसीमन के पूर्व यह क्षेत्र पटना लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था. उस समय इस इलाके में फतुहा और बख्तियारपुर का इलाका शामिल नहीं था. 1977 के चुनाव में महामाया प्रसाद सिन्हा पटना के सांसद निर्वाचित हुए. इसके पहले 1962, 1967 और 1980 में भाकपा के रामावतार शास्त्री यहां से सांसद रहे.
जेपी आंदोलन के बाद हुए 1984 में कांग्रेस की टिकट पर डाॅ सीपी ठाकुर यहां से सांसद निर्वाचित हुए. 1989 में भाजपा से प्रो शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव, 1991 व 1996 में राजद से रामकृपाल यादव, 1998 और 1999 में पुन: भाजपा से डॉ सीपी ठाकुर चुनाव जीते. 2004 में राजद से रामकृपाल यादव को यहां की जनता ने सांसद बनाया. 2009 में परिसीमन के बाद पहला चुनाव हुआ जिसमें भाजपा की टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हुए.