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लोकसभा चुनाव : जदयू में आबादी के अनुपात से टिकट में हिस्सेदारी, अतिपिछड़ों पर रहेगा जोर

लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत की बनायी गयी रणनीति पटना : आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू में आबादी के अनुसार उम्मीदवार तय किये जायेंगे. लोकसभा की 17 सीटों में इस बार अतिपिछड़ों और मुसलमान उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़ायी जा सकती है. पार्टी अगड़े सहित अन्य जातियों के उम्मीदवारों को टिकट देने में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2019 7:25 AM
लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत की बनायी गयी रणनीति
पटना : आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू में आबादी के अनुसार उम्मीदवार तय किये जायेंगे. लोकसभा की 17 सीटों में इस बार अतिपिछड़ों और मुसलमान उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़ायी जा सकती है.
पार्टी अगड़े सहित अन्य जातियों के उम्मीदवारों को टिकट देने में संतुलन रखने की कोशिश करेगी. इसका सीधा मकसद चुनाव में सभी सीटों पर जीत की रणनीति सुनिश्चित करना है. पिछले चुनाव में चालीस सीटों पर चुनाव लड़ने वाले जदयू ने छह अति पिछड़ों को उम्मीदवार बनाया था. इनमें तीन हिंदू और तीन पसमांदा मुस्लिम थे. इस बार अतिपिछड़ी जातियों के कम से कम पांच उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना है. एक सीट पर अनुसूचित जाति के प्रत्याशी होंगे. बाकी के 11 सीटों में सभी तबके को हिस्सेदारी दी जायेगी.
अतिपिछड़ों में कुल 108 जातियां: पार्टी सूत्रों का कहना है कि अतिपिछड़ों में कुल 108 जातियां हैं. बिहार में इनकी कुल आबादी करीब 40 फीसदी है. वहीं मुसलमानों की जनसंख्या अलग से है. इसे लेकर जदयू के एक बड़े नेता ने भी पिछले दिनों स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी की प्राथमिकता आबादी के अनुसार उम्मीदवार तय करने की है. ऐसे में पार्टी सूत्र यह मानकर चल रहे हैं कि अतिपिछड़ा वर्ग के कम से कम पांच उम्मीदवारों को पार्टी का टिकट निश्चित लगता है.
युवाओं व महिलाओं को प्राथमिकता
अपने कोटे की सीटों में जदयू इस बार युवाओं और महिलाओं को वरीयता देगा. पिछले बार भी सबसे कम उम्र के सांसद जदयू के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव जीते संतोष कुशवाहा थे. सूत्र बताते हैं कि इस बार भी पार्टी ऐसे प्रयोग करने जा रही है. फिलहाल चुनाव की तैयारी को लेकर पार्टी सभी सीटों पर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने, संगठित करने और बूथ मैनेजमेंट की रणनीति में लगी है.
पिछले चुनाव में ये बने थे प्रत्याशी
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों पर भाकपा और जदयू गठबंधन ने चुनाव लड़ा था. इसमें 38 सीटों पर जदयू और दो पर भाकपा के उम्मीदवार थे. कुल दस सवर्ण कोटे के उम्मीदवार थे जिनमें एक भाकपा के संजय कुमार और बाकी के नौ जदयू से रहे.
जदयू ने तीन सीटों पर हिंदू अतिपिछड़ा उम्मीदवारों को लड़वाया था. इसमें सुपौल से दिलेश्वर कामत, अररिया से विजय मंडल और वैशाली से विजय सहनी उम्मीदवार थे. इसी कोटि में तीन पसमांदा मुस्लिम उम्मीदवार बनाये गये, जिनमें शिवहर से साबिर अली, सारण से सलीम परवेज और मधुबनी से गुलाम गौस के नाम हैं.
अनुसूचित जाति की छह आरक्षित सीटों में हाजीपुर से रामसुंदर दास, जमुई से उदय नारायण चौधरी, गया से जीतनराम मांझी, सासाराम से केपी रमैया, गोपालगंज से अनिल कुमार और समस्तीपुर से महेश्वर हजारी उम्मीदवार बनाये गये थे.

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