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पटना : नेत्रहीनों की आंखों को नहीं मिल रही रोशनी

आनंद तिवारी पटना : नेत्रदान व अंगदान के क्षेत्र में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान भले ही नये मुकाम कायम कर रहा है. लेकिन प्रदेश के अन्य जिलों में स्थिति बदतर है. हालत यह है कि पटना शहर छोड़ बाकी जिलों के सरकारी अस्पतालों में न तो कॉर्निया सेंटर बन पाये हैं और न ही मेडिकल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2019 9:47 AM
आनंद तिवारी
पटना : नेत्रदान व अंगदान के क्षेत्र में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान भले ही नये मुकाम कायम कर रहा है. लेकिन प्रदेश के अन्य जिलों में स्थिति बदतर है. हालत यह है कि पटना शहर छोड़ बाकी जिलों के सरकारी अस्पतालों में न तो कॉर्निया सेंटर बन पाये हैं और न ही मेडिकल कॉलेजों में आइ बैंक की सुविधा बहाल हो पायी है. जबकि प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आइ बैंक खोले जाने का प्रस्ताव पास हुए दो साल से अधिक हो गये. लेकिन पीएमसीएच व आइजीआइएमएस छोड़ बाकी मेडिकल कॉलेज में आज तक आइ बैंक की सुविधा बहाल नहीं हो पायी है.
आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के भरोसे कॉर्निया ट्रांसप्लांट
कागजों में काफी संख्या में लोग नेत्रदान कर चुके हैं. लेकिन आइ बैंक के अभाव में कॉर्निया डोनेट नहीं हो पाती है. दूसरे जिलों में कॉर्निया डोनेट करने की नौबत आती तो आइजीआइएमएस फोन करना पड़ता है. अगर दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी आदि दूर के जिलों के लोग कॉर्निया देना चाहे तो दूरी अधिक होने से आइजीआइएमएस से आइ बैंक की टीम नहीं पहुंच पाती. आइजीआइएमएस में करीब 300 व पीएमसीएच में पांच मरीजों को अब तक रोशनी मिल पायी है.
कॉर्निया कलेक्शन का यह है नया नियम
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के नये नियमानुसार बिना आइ बैंक या फिर कॉर्निया कलेक्शन सेंटर के बिना नेत्रदान नहीं कराया जा सकता है. लेकिन, आइ डोनेट व रिट्राइवल के लिए सेंटर में फ्रिज, स्टरलाइज कक्ष व उपकरण जरूरी हैं, जो सभी अस्पतालों में नहीं हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पटना शहर व आसपास के जिले से फोन आने पर आइबैंक की टीम जाती है और कॉर्निया कलेक्शन करती है. लेकिन दूर के जिलों में जाना संभव नहीं हो पाता है. अगर सभी जिलों में कलेक्शन सेंटर या फिर आइ बैंक खुल जाते तो अधिक-से-अधिक नेत्रहीनों को आंखें मिल जातीं.
—डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग व आइ बैंक आइजीआइएमएस

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