कृषि में विकास की काफी संभावना है, सरकार को अपना पिटारा और खोलना चाहिए
कृषि में विकास की संभावना, कर्ज हो माफ
कृषक पंकज कुशवाहा का कहना है कि कृषि के क्षेत्र में विकास की संभावना है. सरकार को और पिटारा खोलना होगा. किसानों के कर्ज माफी होने के उपरांत ही समस्या का समाधान हो सकता है. कृषि रोड मैप में फसल की पैदावार बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है, लेकिन उसके अनुकूल सुविधा व संसाधन किसानों को मिलना चाहिए, तभी तरक्की होगी. बजट ठीक है.
लागत मूल्य से डेढ़ गुना लाभ की योजना नहीं
जल्ला किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष व किसान मनोहर लाल कहते हैं कि कृषक को लागत मूल्य से डेढ़ गुणा लाभ की योजना मिले. जल्ला में जलजमाव वाली भूमि के लिए किसी तरह की योजना नहीं बनायी गयी. . किसानों के रजिस्ट्रेशन के लिए गांव स्तर पर केंद्र बनाने का मामला भी लंबित हो गया. बजट में किसान की उपयोगिता का ख्याल और रखना चाहिए.
पट्टीदारों की समस्या यथावत कायम है
सिमली शहादरा निवासी किसान मंटू मेहता कहते हैं कि पट्टीदार किसानों की समस्या यथावत है. सरकार किसानों के लिए जो योजना बना रही है, उस योजना का लाभ जमीन मालिकों को ही मिल पा रहा है. ऐसे में पट्टा पर खेती करने वाले किसानों की स्थिति और दयनीय हो जाती है. बाजार व भंडारण की सुविधा नहीं मिलने से फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है.
किसानों को बाजार की सुविधा मिले
शहादरा के किसान रंजन मेहता कहते हैं कि जल्ला में मूल रूप से आलू-प्याज व मौसमी हरी सब्जी की खेती होती है. ऐसे में पैदावार बढ़ने की स्थिति में किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. कृषि रोड मैप बजट बढ़ाने के साथ बाजार की सुविधा मुहैया कराने की दिशा में सरकार संकल्पित हो, तभी किसानों की स्थिति सुधरेगी.
महिलाओं के लिए आर्थिक आत्म निर्भरता नहीं है
चैनपुरा निवासी पूनम देवी कहती है कि गांव की महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता की व्यवस्था बजट में नहीं की गयी. रोजगार की मुख्य धारा से महिलाएं जुड़ें इसके लिए असंगठित क्षेत्रों में मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, मुर्गीपालन व डेयरी समेत गांव से जुड़े अन्य उद्योगों में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वित्त की व्यवस्था होनी चाहिए.
बिहार बजट पर किसानों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है. किसी ने इसे बेहतर बताया तो किसी ने कहा कि इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावना है. सरकार को अपना पिटारा और खोलना चाहिए.