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एक्सपर्ट व्यू : चुनौतियों से पार पाने की रणनीति वाला बजट

शैबाल गुप्ता (अर्थशास्त्री, आद्री के सदस्य सचिव) त्तीय वर्ष 2019-20 के लिए पेश किया गया दो लाख 501 करोड़ का बजट बिहार विधानमंडल में आजादी के बाद पेश किया गया सबसे बड़ा बजट है. इस बजट में सभी क्षेत्रों पर समान रूप से ध्यान दिया गया है. खासकर कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस किया […]

शैबाल गुप्ता (अर्थशास्त्री, आद्री के सदस्य सचिव)

त्तीय वर्ष 2019-20 के लिए पेश किया गया दो लाख 501 करोड़ का बजट बिहार विधानमंडल में आजादी के बाद पेश किया गया सबसे बड़ा बजट है. इस बजट में सभी क्षेत्रों पर समान रूप से ध्यान दिया गया है.

खासकर कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस किया गया है, ताकि राज्य के किसानों में समृद्धि आये. शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा खर्च का प्रावधान किया गया है, जो राज्य सरकार के विजन को बताता है. इसके अलावा ऊर्जा, सड़क समेत तमाम मूलभूत जरूरत वाले प्रक्षेत्रों को अच्छे से फोकस किया गया है. इस बजट में समुचित तरीके से तमाम बातों को समाहित किया गया है. वित्तीय वर्ष 2004-05 के दौरान राज्य का बजट 25 से 30 हजार करोड़ का ही होता था.

पिछले बजट से प्लान साइज भी काफी बड़ा हो गया है, जो राज्य सरकार की विकास के प्रति दूरदर्शिता और संकल्प को दर्शाता है. बिहार को आगे बढ़ाने के लिए जिन महत्वपूर्ण बातों की जरूरत है, उन्हें काफी बेहतर तरीके से बजट में रखा गया है. इससे बिहार के उच्च विकास दर को बनाये रखने में मदद मिलेगी. इस बजट में बहुत ही बेहतर वित्तीय प्रबंधन के तमाम तत्व दिखते हैं.

एफआरबीएम एक्ट के तहत राजकोषीय घाटा को लगातार कम करके रखते हुए इसे तीन प्रतिशत के अंदर रखा गया है. राज्य का कर राजस्व करीब 31 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. वहीं, गैर-कर राजस्व भी चार हजार करोड़ रुपये हो गया है. इसमें वाणिज्यकर संग्रह 25 हजार करोड़ रुपये, परिवहन से कर की वसूली दो हजार 500 करोड़ रुपये, भू-राजस्व का दो हजार करोड़ रुपये का होना यह दिखाता है कि पूरी गवर्नेंस या सरकारी तंत्र संसाधन को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है और इस दिशा में लगातार सकारात्मक कार्य किये जा रहे हैं.

बजट की रणनीति इस तरह से रखी गयी है, उसमें वर्ष 2004-05 के बाद से डबल डिजिट के ग्रोथ रेट को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त पब्लिक इन्वेस्टमेंट का भी प्रावधान बजट में खासतौर से किया गया है. जिस तरह से पूरे बजट को तैयार किया गया है, उससे दो अंकों का ग्रोथ रेट आगे भी बने रहने की पूरी संभावना दिख रही है. विकास की यही रफ्तार बनी रही है, तो बिहार पहले जो बीमारू राज्य कहलाता था, इस तोहमत से जल्द बाहर आ जायेगा या कहे इतनी ज्यादा विकास दर प्राप्त करने के बाद बिहार बीमारू राज्य से बाहर आ ही गया है. फिर भी बिहार में कई चुनौतियां मौजूद हैं, जिसे दूर करने का भी प्रावधान खासतौर से बजट में किया गया है.

शिक्षा में सबसे ज्यादा बजट का प्रावधान इस बात का सूचक है कि इस क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों को दूर करने की हर तरह से कोशिश की गयी है. इसी तरह ऊर्जा के क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों को दूर करने के लिए कई तरह की योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए विशेष रूप से ध्यान दिया गया है.

इस बजट से लोगों का न सिर्फ क्वालिटी ऑफ लाइफ बदलेगी, बल्कि राज्य की उत्पादकता और उत्पादन दोनों में भी व्यापक स्तर पर बढ़ोतरी होगी. बेहतर और सुदृढ़ बजट के लिए जितनी अनुकूल रणनीति चाहिए, उसके तहत हर तरह से काम राज्य में हो रहे हैं. मौजूदा बजट इसी का सबसे बड़ा परिचायक है. इस बजट में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के अलावा सशक्त विकास की तमाम अवधारणा को सुदृढ़ करने के लिए तमाम तरह के काम किये गये हैं.

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