विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिक दलों के नेताओं समेत कई लोगों ने बजट पर दी प्रतिक्रिया, …जानें किसने क्या कहा?
पटना : राज्य के बजट आकार की तुलना वर्ष 2004-05 के बजट आकार (23,885 करोड़) की तुलना में इस बार बजट का आकार 2 लाख करोड़ के आंकड़ें को पार करना बड़ी उपलब्धि है. बजट की दूसरी बड़ी खासियत योजना मद के आकार का लगातार बढ़ना भी है. स्कीम मद में व्यय होने से राज्य […]
पटना : राज्य के बजट आकार की तुलना वर्ष 2004-05 के बजट आकार (23,885 करोड़) की तुलना में इस बार बजट का आकार 2 लाख करोड़ के आंकड़ें को पार करना बड़ी उपलब्धि है. बजट की दूसरी बड़ी खासियत योजना मद के आकार का लगातार बढ़ना भी है. स्कीम मद में व्यय होने से राज्य के आर्थिक विकास को मजबूती प्राप्त होती है. आइए देखते हैं बिहार के बजट पर विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों के नेताओं समेत किन-किन लोगों ने क्या कहा…
जीएसटी के समायोजन को लेकर अनिश्चितता बरकरार : राजेश कुमार खेतान, पूर्व अध्यक्ष, आइसीएआइ, पटना ब्रांच
अनुमान के मुताबिक, बिहार बजट में मुख्य रूप से किसानों गरीबों अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी घोषणा की गयी हैं. निश्चित रूप से इसका लाभ समाज के पिछड़े वर्ग को मिलेगा. व्यवसायी वर्ग की बहुप्रतीक्षित मांग वैट सेटलमेंट स्कीम की घोषणा बजट में कई गयी है. उद्योग विभाग को एक बड़े आवंटन की जरूरत थी, जिसके लिए बजट में कोई भी प्रावधान नहीं दिख रहा है, जिससे व्यवसायियों खासकर उद्योगों के बीच जीएसटी के रीइम्बर्समेंट को लेकर अनिश्चितता बरकरार है.
बहुमुखी विकासपरक बजट के अलावा कुछ नहीं : महताब आलम, अध्यक्ष, आइसीएआइ, पटना ब्रांच
बिहार बजट मुख्य रूप से आम जनता के जीवन स्तर में सुधार,नागरिक सुरक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र को मजबूत करके विकासपरक योजनाओं से राज्य में विकास को गति मिलेगी. बहुप्रतीक्षित पटना मेट्रो के लिए भी बजट में प्रावधान किये गये हैं. निश्चित रूप से इनका बहुत बड़ा लाभ महानगर का रूप लेते हुए पटना के लोगों को मिलेगा. जीएसटी संबंधित कारोबारियों एवं उद्यमियों के बीच अब भी दुविधा कायम है. कुल मिलाकर देखा जाये तो यह बजट बहुमुखी विकास बजट कहा जा सकता है.
बजट का बढ़ा आकार, नहीं बढ़ा स्वास्थ्य बजट : बरना गांगुली, अर्थशास्त्री
बिहार का बजट आकार 2018-19 में सात गुना बढ़कर 1,76,990 करोड़ तक गया और 2019-20 में बढ़कर 2,00,501 करोड़ हो गया है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा का बजट नहीं बढ़ पाया. जिस तरह से शिक्षा के लिए राशि बढ़ायी गयी है, उसीतरह स्वास्थ्य सेवा में भी बढ़ना चाहिए था, ताकि बिहार की एक बड़ी आबादी, जो सरकारी अस्पतालों में इलाज कराती है. उनका पूरा इलाज सरकारी अस्पतालों में आराम से हो सके. 2019-20 का बजट रोजगार, कृषि व पर्यटन को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जोकि बिहार के विकास के लिए बहुत जरूरी है. साथ ही शिक्षा, ग्रामीण विकास के लिहाज से भी अच्छा बजट साबित होगा. गांव में सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था होने के बाद लोगों को जहां फायदा होगा. वहीं, दूसरी ओर कृषि के लिए तैयार बजट से किसानों को भरपूर लाभ होगा.
विकास के प्रति प्रतिबद्धता उजागर करने वाला बजट : सुरेश रूंगटा
बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा पेश 2019-20 का बजट राज्य के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करनेवाला है. मोदी जी द्वारा पेश 2004-05 का प्रथम बजट जहां 23885 करोड़ था. वहीं, वर्तमान बजट 2 लाख 501 करोड़ रुपये का हो गया है. इसमें पूंजीगत व्यय के लिए 45700 करोड़ का आवंटन है, जो कुल बजट का 21.8 प्रतिशत है तथा पूर्व के वर्षों से काफी अधिक है. राजस्व व्यय के अंतर्गत 1 लाख, 55 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. 2017-18 में बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 9.9 प्रतिशत से बढ़ कर 11.3 प्रतिशत हो गयी है, जो राष्ट्रीय औसत से 4.3 प्रतिशत ज्यादा है. बिहार में विकास की गति समावेशी है, जो हर क्षेत्र एवं प्रत्येक वर्ग को तरक्की की ओर ले जानेवाला है. किसी समय आधारभूत संरचना में फिसड्डी राज्य आज सड़क, परिवहन, बिजली, पानी एवं तकनीकी जानकारी से लबरेज है. प्रदेश की गरीबी अनुपात में 21.6 प्रतिशत की तेज गिरावट हुई है. मोबाइल फोन एवं वाहनों की संख्या बढ़ कर दोगुनी हो गयी है और हवाई यात्रा करनेवालों की संख्या में भी 50 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है. कौशल विकास के लिए अलग से राशि आवंटित की है. स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लिए बजट में 833 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. पटना मेडिकल कॉलेज को देश का सर्वोत्तम स्वास्थ्य केंद्र बनाने हेतु 5554 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है. राज्य में 96 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं. इनको केंद्र सरकार द्वारा घोषित 6000 रुपये के अनुदान का लाभ भी मिलना संभव हो सकेगा. देश के कृषि रोड मैप में बिहार का छठा स्थान है. किसानों को सिंचाई के लिए 0.75 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति करने की घोषणा के साथ-साथ 18 लाख, 66 हजार किसानों को डीजल अनुदान देने का भी बजट में प्रावधान किया गया है. गांव में नयी सड़कें बनवाने एवं पुरानी कच्ची सड़कों की पक्कीकरण के लिए 2815 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह बजट कमजोर वर्ग एवं गांव के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र को गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने वाला साबित होगा.
अर्थ व वित्त व्यवस्था को संतुलित करने वाला बजट : अमित बक्शी
बिहार का 2019-20 बजट अर्थ व्यवस्था को संतुलित करनेवाला बेहतरीन बजट है. पूर्व की बात करें, तो बिहार सरकार का बजट आकार 2004-05 में 23,885 करोड़ था, जो 2018-19 में सात गुना बढ़कर 1,76,990 करोड़ तक गया था. वहीं, साल 2019-20 में बढकर 2,00,501 करोड़ हो गया है. सरकार ने शिक्षा, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, समाज कल्याण और पथ निर्माण में अधिक खर्च की योजना बनायी है, लेकिन एक बिहार की सबसे बड़ी जरूरत स्वास्थ्य है. इसके स्कीम में खर्च होने वाली राशि थोड़ी अधिक होनी चाहिए थी.
उद्योग के लिए प्रोत्साहित राशि का आवंटन न के बराबर : मशींद्र मशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट
एक जुलाई, 2017 से पहले के विवादित जीएसटी वॉच सेट रेट के लिए कर समाधान योजना 2019 लाया जाना बेहतरीन कदम है. उद्योग विभाग के लिए प्रोत्साहित राशि न के बराबर आवंटन की गयी है. सरकार रोड कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने का काम किया, जिससे रोजगार में वृद्धि होगी और सरकार का मेट्रो प्रोजेक्ट के बारे में गंभीरता पटना को मेट्रो सिटी बनाने की तरफ अच्छी और सराहनीय कदम है. सहकारिता विभाग का ब्रांड नेम या ब्रांडिंग करना सरकार की अच्छी पहल है. किसानों को फायदा मिलेगा.
प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा में सुधार से देखने को मिल सकता है व्यापक बदलाव : राजीव रंजन, रजिस्ट्रार, एकेयू
किसी भी राष्ट्र का विकास उसकी शिक्षा पर निर्भर होती है. बजट में राज्य सरकार ने जो प्रावधान किया है. वह बेहतर है. हमारा राज्य उन राज्यों में शामिल हो सकता है, जो शिक्षा पर विशेष रूप से फोकस करते हैं और शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने में विश्वास रखते हैं. सारे बदलाव के कार्य शिक्षा से ही संभव हैं. प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा में सुधार से व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है. बिहार शिक्षा में आगे बढ़ेगा तो इससे देश को ही लाभ होगा.
शिक्षा की दर बढ़ने से बदलेगी समाज की सोच : प्रो वी. मुकुंद दास, निदेशक, सीआइएमपी
शिक्षा में सबसे ज्यादा खर्च होने से बहुत लाभ मिल सकता है. राज्य सरकार द्वारा शिक्षा में खर्च को लेकर किये गये प्रावधान को एक्सिलेंट कहा जा सकता है. राज्य में अगर शिक्षा की दर बढ़ती ,है तो इससे समाज की सोच बदलेगी. समाज का सोच बदलना ही किसी भी राज्य को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकता है. शिक्षा में वृद्धि से इकोनॉमिक असमानता में भी कमी होगी. शिक्षा में क्वालिटी पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
स्किल पर फोकस होगा, तो बेरोजगारी खत्म करने की दिशा में बढ़ेगा कदम : प्रो संजय श्रीवास्तव, निदेशक, निफ्ट पटना
समाज की प्रगति में सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का ही होता है. शिक्षा में सुधार होगा, तो यहां के लोग राज्य के निर्माण में अपनी भागीदारी कर सकते हैं. बजट में अगर स्किल पर फोकस होगा, तो राज्य बेरोजगारी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा सकती है. साथ ही आंत्रप्रिन्योरशिप में भी रुझान दिख सकता है. इस बजट को शिक्षा के लिए बेहतर बजट कह सकते हैं.
बिहार की स्थिति के मद्देनजर सरकार को करना है बहुत काम : प्रो तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स
बिहार का बजट स्वागत योग्य है. कई मोर्चों पर यह सफल है. शिक्षा के क्षेत्र में बजट में प्रावधान है, लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है. शिक्षकों की नियुक्ति और समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. 5.3 प्रतिशत औसत वार्षिक विकास दर है. कहने को 11 प्रतिशत विकास दर है, लेकिन यह विवादित है. आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर काफी अच्छी दिखाई गयी है, लेकिन बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है और इस क्षेत्र में बिहार आज भी आशातीत सफलता हासिल नहीं कर सका है. सीमांत किसानों को अधिक-से-अधिक लाभ देने की जरूरत है. वर्तमान बजट में किसानों के प्रति बहुत उदारता नहीं दिखाई गयी है. कहा जा सकता है कि वर्तमान सरकार ने बिजली, पानी, सड़क और किसी हद तक रोजगार के क्षेत्र में सफलता हासिल की है. महंगाई की दर में गिरावट आयी है. कुल मिला कर बजट को संतुलित कहा जा सकता है. लेकिन, बिहार की स्थिति को देखते हुए सरकार को बहुत बहुत कार्य करना होगा.
बजट किसान और कृषि के लिए ऐतिहासिक : नित्यानंद राय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
बिहार का बजट ऐतिहासिक और सर्वसमावेशी है. इसमें शिक्षा के बाद कृषि पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है. सूखाग्रस्त इलाकों के किसानों के अनुदान पर 1420 करोड़ दिया गया है. 18 लाख 66 हजार डीजल अनुदान और 1420 करोड़ का अनुदान किसानों को दिया गया है. प्रधानमंत्री किसान निधि योजना से बिहार के करीब 96 फीसदी किसानों को लाभ होगा. बजट बिहार को अंधकार युग से उजाले में लाने के प्रति संकल्पित है.
बजट गरीब जनता के अनुरूप नहीं : अरुण कुमार यादव, प्रदेश प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी, युवा राजद
बिहार के 2019-20 का बजट युवाओं, किसानों, मजदूरों एवं गरीब जनता के अनुरूप नहीं है. यह गरीब विरोधी बजट है. बजट में रोजगार सृजन के लिए कुछ नहीं है. बिहार से बेरोजगार नौजवानों के पलायन रोकने के लिए कुछ नहीं है. शिक्षा क्षेत्र की स्थिति को सुधारने के नाम पर शिक्षा क्षेत्र के बजट को बढ़ा देने से कुछ नहीं होगा. राज्य में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता पर लगाम लगाने के लिए बजट में कोई चर्चा नहीं है.
चुनाव को ध्यान में रखते हुए लोकलुभावन बजट : देवेंद्र प्रसाद यादव, प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री : समाजवादी पार्टी
चुनाव को ध्यान में रख कर लोक लुभावन बजट बनाया गया है. इसमें समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए कोई कार्य योजना नहीं है. शिक्षा में सबसे अधिक खर्च के बावजूद गुणवत्ता नहीं मिल रही है. कृषि क्षेत्र में भी दूसरे राज्यों के उत्पादन पर निर्भर हैं. खुद को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कोई कार्ययोजना नहीं है. 11.3 फीसदी विकास दर के बावजूद किसी क्षेत्र में खास उपलब्धि नहीं है. बेरोजगारों के लिए भी कोई रोजगार योजना नहीं है.
कृषि क्षेत्र में विकास दर शून्य, फिर कैसा विकास : कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा-माले
आर्थिक सर्वेक्षण व बजट में बिहार सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी की है. इसके जरिये सकल उत्पादन में अमीरपरस्त वितरण को छिपाने की कोशिश की है. सरकार का दावा है कि बिहार ने करीब 11 प्रतिशत विकास दर हासिल कर लिया है. जबकि कृषि क्षेत्र में विकास दर लगभग शून्य है.
हेल्थ व एजुकेशन की क्वालिटी बढ़े : डॉ नंदिनी मेहता, जेडी वीमेंस कॉलेज
बजट में एजुकेशन को सबसे ज्यादा एक्सपेंडीचर दिया गया है. 11 मेडिकल कॉलेज खुलनेवाले हैं. ऑर्गेनिक फॉर्मिंग पर जोर दिया गया है. 20 प्रतिशत कैपिटल एसेट पर इयर मार्क किया है. यह सारी अच्छी बाते हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि बेसिक चीजें जैसे हेल्थ व एजुकेशन में क्वालिटी कैसी होगी. क्वालिटी ऑफ एजुकेशन की बात करें तो हायर एजुकेशन में महिला कॉलेजों की हालत नाजुक है. एक तरफ रिवेन्यू सरपल्स है, लेकिन वहीं फीस माफ है. शिक्षक की बहाली नहीं है. जेंडर बजट इसी सत्र में आने वाला है, इसका इंतजार है.
रिसर्च एंड एनोवेशन पर फोकस हो : डॉ अपराजिता कृष्णा, पटना वीमेंस कॉलेज
एजुकेशन में बजट तो दिया गया है, लेकिन हायर एजुकेशन में यहां के कॉलेज अब भी इंटरनेशनल लेवल पर काफी पीछे हैं. रिसर्च एंड एनोवेशन पर बजट होना चाहिए. इससे एक फायदा यह होगा कि जो बच्चे बाहर जाकर रिसर्च कर रहे हैं, वो यहीं अपने देश में ही करेंगे.
पुराने मेडिकल कॉलेजों के हालात सुधरें : श्वेता शरण, मगध महिला कॉलेज
इस बार के बजट में मूलभूत संरचना एवं स्वास्थ्य को लेकर प्राथमिकता दी गयी है. वहीं, शिक्षा पर सर्वाधिक खर्च सराहनीय है. सरकार की ओर से शिक्षा पर लगातार जोर दिया जा रहा है, जिसका असर बजट में साफ दिख रहा है. 11 मेडिकल कॉलेज खुलने की बात की गयी है, लेकिन पहले से खुले पांच मेडिकल कॉलेज के हालात क्या है, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
बजट से ज्यादा बड़ा काम है इम्प्लीमेंटेशन : अंशिका, छात्रा
इस बार के बजट में शिक्षा पर ज्यादा फोकस किया गया. वहीं मेडिकल कॉलेज खुलने की बात है. मेरा सवाल है कि सिर्फ बजट सेंक्शन कर देने से क्या होता है, जरूरत है उन्हें जमीनी स्तर पर उतारने की. साथ ही चेक करते रहने की कि समय पर सारा काम पूरा हो जाये.