पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्रीएवंभाजपाके वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि विधानसभा में सवर्ण आरक्षण बिल पर राजद-कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हो गया है. संसद में जहां राजद ने बिल पर हुए मतदान का विरोध किया. वहीं विधानसभा में बेल में जाकर शोर मचा, टेबुल पटक व नारेबाजी कर अपना विरोध जताया, जबकि संसद में अनमने ढंग से सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन करने वाली कांग्रेस बिहार विधान सभा में तरह-तरह का संशोधन पेश कर अप्रत्यक्ष तौर पर अड़ंगा डालने की कोशिश कर रही थी. आगामी लोकसभा चुनाव में सवर्ण आरक्षण का विरोध करने वाले राजद और कांग्रेस को सवर्ण समाज सबक सिखायेगा.
सुशील मोदी ने कहा कि विश्वविद्यालयों की नियुक्ति में विभागवार रिक्तियों के आधार पर आरक्षण की जगह विश्वविद्यालय को इकाई मान कर आरक्षण लागू करने के लिए दो दिन पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. अगर पुनर्विचार याचिका पर अनुकूल फैसला नहीं आता है तो केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर विश्वविद्यालय को इकाई मान कर आरक्षण लागू करेगी. सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालयों की नियुक्तियों को फिलहाल स्थगित कर दिया है.
2021 में जातीय आधार पर गणना के लिए विधानमंडल से पारित संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि 2011 में यूपीए सरकार ने 4,900 करोड़ खर्च कर अवैज्ञानिक तरीके से जल्दबाजी में आधे-अधूरे ढंग से सामाजिक-आर्थिक जातीय सर्वेक्षण कराया. नतीजतन उसकी रिपोर्ट में 46 लाख से ज्यादा जातियां व उपजातियां उल्लेखित हैं और इतनी सारी तथ्यात्मक खामियां है कि उसे सार्वजनिक करना संभव नहीं है.
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