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कीर्ति आजाद ने कहा- कांग्रेस के लोग उनके पिता के लिए लूटते थे बूथ, भाजपा बोली- अब खुल रही पोल

पटना : क्रिकेटर से राजनेता बने कीर्ति आजाद द्वारा एक सभा को संबोधित करते हुए भूलवश दिये गये एक बयान, कि कांग्रेस के लोग उनके दिवंगत पिता के लिए चुनाव के दौरान बूथ ‘लूटा’ करते थे, को लेकर बुधवार को भाजपा ने निशाना साधा. भाजपा ने कहा कि अब उनकी पोल खुल रही है. दरअसल, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2019 10:09 PM

पटना : क्रिकेटर से राजनेता बने कीर्ति आजाद द्वारा एक सभा को संबोधित करते हुए भूलवश दिये गये एक बयान, कि कांग्रेस के लोग उनके दिवंगत पिता के लिए चुनाव के दौरान बूथ ‘लूटा’ करते थे, को लेकर बुधवार को भाजपा ने निशाना साधा. भाजपा ने कहा कि अब उनकी पोल खुल रही है.

दरअसल, भाजपा छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति ने अपने संसदीय क्षेत्र दरभंगा में मंगलवार को एक अभिनंदन सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘कांग्रेस परिवार के सदस्य बूथ लूटा करते थे नागेंद्र बाबा और डाॅक्टर साहेब के लिए. इसे आज मानने में कोई गड़बड़ी नहीं है. पिता जी के लिए और 1999 में हमारे लिए भी (बूथ) लूटा था क्योंकि उस समय इवीएम (इलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीन) नहीं आयी थी.’

कीर्ति आजाद के इस बयान पर बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने उनको निशानेपरलेते हुए यहां पत्रकारों से कहा कि "कीर्ति ने स्वीकार किया है कि बूथ कैप्चरिंग कांग्रेस संस्कृति का एक हिस्सा है. भाजपा के साथ रहते हुए कभी भी ऐसी चुनावी परंपराओं का सहारा नहीं लिया गया."

हालांकि, कीर्ति ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा "मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि उनके पिता के लिए बूथ कैप्चर कियेगये. जब मैंने बूथ लूट के बारे में बोला था, मैं उस समर्पण की बात कर रहा था जिसके साथ पार्टी कार्यकर्ता मेरे पिता के लिए बूथ प्रबंधन करते थे."

कीर्ति के उस कथन पर बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि उनके कहने का अभिप्राय यह था कि वे कांग्रेस की पृष्ठभूमि के ही हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन से ही चुनाव लड़े और जीते. उन्होंने कहा कि अपनी पुरानी पार्टी में वापस आने के उत्साह में वे बोल गये. बूथ लूटने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने ऐसा किया था. अगर बूथ लूटते तो सत्ता से बाहर नहीं होते. हमेशा चुनाव जीतते.

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कीर्ति के पिता भागवत झा आजाद इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में सदस्य रहे और 1980 के दशक में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था. दो दशक से भाजपा से जुड़े और दरभंगा से दो बार सांसद रहे कीर्ति को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित अनियमितताओं के संबंध में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगाने को लेकर 2015 में पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.

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