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पटना : जीविका की दीदियों के जिम्मे होगा मिड-डे मील

पटना : गैर शैक्षणिक कार्यों का हवाला देकर शिक्षकों का हो-हल्ला अब बंद होगा. मध्याह्न भोजन (एमडीएम) की जिम्मेदारी अब जीविका को सौंपी जायेगी. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मुजफ्फरपुर के मुरौल, जहानाबाद के घोसी ब्लॉक के स्कूलों में नयी व्यवस्था के तहत एमडीएम का काम शुरू भी हो गया है. तीन माह बाद इसकी […]

पटना : गैर शैक्षणिक कार्यों का हवाला देकर शिक्षकों का हो-हल्ला अब बंद होगा. मध्याह्न भोजन (एमडीएम) की जिम्मेदारी अब जीविका को सौंपी जायेगी. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मुजफ्फरपुर के मुरौल, जहानाबाद के घोसी ब्लॉक के स्कूलों में नयी व्यवस्था के तहत एमडीएम का काम शुरू भी हो गया है. तीन माह बाद इसकी समीक्षा होगी. सबकुछ ठीक रहा, तो आने वाले दिनों में एमडीएम की जिम्मेदारी प्रदेश में जीविका को दी जायेगी. वर्ष 2013 में एमडीएम की गुणवत्ता में सुधार को नया नियम बनाया गया था.

हेडमास्टर के स्तर से होगी निगरानी
माना जाता है कि बच्चों की फर्जी संख्या बता कर स्कूल स्तर पर खाद्यान्न से लेकर अन्य सुविधाओं का बंदरबांट होता है. इससे बचने के लिए स्कूलों का निरीक्षण किया जाता है. निरीक्षण के दिन बच्चों की संख्या कम पायी जाती है, तो प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई होती है.
निरीक्षण वाले दिन बच्चों की संख्या और एक हफ्ते के दौरान बच्चों की उपस्थिति के आंकड़ों में अगर 10 फीसदी से अधिक का अंतर होता है, तो कार्रवाई तय है. समय-समय पर शिक्षकों के आंदोलन में यह भी बात सामने आयी कि गैर शैक्षणिक काम कराने के कारण पठन-पाठन का काम प्रभावित होता है. सरकार ने जीविका को एमडीएम की जिम्मेदारी देने का मन बनाया है.
हालांकि, हेडमास्टर के स्तर से इसकी निगरानी होगी. दैनिक उपस्थिति पंजिका पर हेडमास्टर और जीविका का हस्ताक्षर होगा. राशि जीविका के खाते में मिलेगी.

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