पटना : रियल इस्टेट मार्केट में आयेगा बूम बिल्डर व ग्राहक दोनों को फायदा
रियल इस्टेट मार्केट में आयेगा बूम बिल्डर व ग्राहक दोनों को फायदा फ्लैट के मूल्य घटेंगे और ग्राहकों की बढ़ेगी खरीद क्षमता पटना : जीएसटी कौंसिल द्वारा किफायती आवासों के लिए टैक्स की दर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के आठ फीसदी से घटा कर एक फीसदी व गैर किफायती आवासों पर कर की दर 12 […]
- रियल इस्टेट मार्केट में आयेगा बूम बिल्डर व ग्राहक दोनों को फायदा
- फ्लैट के मूल्य घटेंगे और ग्राहकों की बढ़ेगी खरीद क्षमता
पटना : जीएसटी कौंसिल द्वारा किफायती आवासों के लिए टैक्स की दर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के आठ फीसदी से घटा कर एक फीसदी व गैर किफायती आवासों पर कर की दर 12 फीसदी से घटा कर पांच फीसदी किये जाने से रियल इस्टेट बाजार में बूस्ट आने की उम्मीद है. इससे ग्राहकों के साथ-साथ बिल्डरों को भी फायदा मिलेगा. बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष मणिकांत के मुताबिक टैक्स घटने से बिल्डरों के प्रोजेक्ट लागत राशि में कमी आयेगी.
इससे फ्लैट के मूल्य घटेंगे और ग्राहकों की खरीद क्षमता बढ़ेगी. बुरी हालत में चल रहे रियल इस्टेट व्यवसाय के लिए यह बेहतर कदम है. बिल्डर आलोक सिंह के मुताबिक वर्तमान में गैर किफायती फ्लैट खरीदने वालों को 10 प्रतिशत रजिस्ट्री शुल्क और 12 प्रतिशत जीएसटी यानी दोहरी मार पड़ रही था. अब पांच प्रतिशत जीएसटी के प्रावधान से फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी. बिल्डरों को ज्यादा लाभ इसलिए नहीं हैं, क्योंकि बिल्डिंग मेटेरियल पर जीएसटी 12 से 18 प्रतिशत देना ही पड़ रहा हैं.
ग्राहकों को इनपुट टैक्स का नहीं मिलता था फायदा
वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश खेतान ने बताया कि सरकार द्वारा बिल्डरों को दिये जाने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ग्राहकों को नहीं मिल पाता था. प्रोजेक्ट की लागत के हिसाब से बिल्डर जितनी जीएसटी राशि का भुगतान करते थे, उसमें निर्माण सामग्री की खरीद पर उनको इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिल जाता था.
मगर यह राशि ग्राहकों को नहीं मिल पाती थी. मसलन किसी ग्राहक ने दस लाख रुपये में मकान खरीदा तो उनको 1.20 लाख रुपये बिल्डर को जीएसटी देना पड़ता था. हालांकि इसमें बिल्डर को निर्माण सामग्री पर 70 हजार रुपये इनपुट क्रेडिट टैक्स के रुप में वापस मिल जाती थी. सरकार ने बिल्डरों को कई बार इनपुट का लाभ ग्राहकों को देने की चेतावनी दी, लेकिन अधिकांश बिल्डर यह काम नहीं कर रहे थे. अप्रत्यक्ष ढंग से बिल्डरों को इसका फायदा मिल रहा था. नयी व्यवस्था में खरीददारों को सीधा फायदा मिलेगा.
उपभोक्ता को फायदा
बिल्डर द्वारा 12 प्रतिशत जीएसटी वसूला जाता था, जबकि बिल्डर द्वारा मिलने वाले इनपुट क्रेडिट का लाभ फ्लैट के खरीदार को नहीं दिया जाता था.
सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट उसी स्थिति में मंजूर किया था कि उसका लाभ ग्राहकों को मिले. परंतु कई जगह से ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि बिल्डर वह लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा रहे है. ऐसी स्थिति से उपभोक्ता से जीएसटी के नाम पर ज्यादा पैसे लिये जाने की संभावना थी, जो अब खत्म हो गयी है. अब बिल्डर खरीदार से जीएसटी के नाम पर पैसे लेकर अपने पास नहीं रख सकेगा.
बिल्डर को फायदा
बिल्डर पर जो जीएसटी का कंपलायंस का बोझ था, वो काफी हद तक कम हो जायेगा. खास कर वैसे मामलों में जब प्रोजेक्ट कंपलीशन के बाद बेचा जाता था, तो उस पर जीएसटी लागू नहीं होता था. बनने के बाद बेचने पर जीएसटी नहीं लगता था. इनपुट टैक्स क्रेडिट का हिस्सा सरकार को वापस लौटाना पड़ता था. इसको लेकर काफी समस्या होती थी. उस पर अब बिल्डर को राहत मिलेगी. साथ ही इसको लेकर होने वाले संभावित विवाद से भी मुक्ति मिलेगी.
पटना : किफायती, गैर-किफायती निर्माणाधीन फ्लैट की बिक्री बढ़ेगी : सुशील मोदी
पटना : नयी दिल्ली में रविवार को हुई जीएसटी की कॉउंसिल की अहम बैठक में किफायती आवासों के संबंध में लिये गये निर्णय से बिहार को काफी लाभ मिलेगा. बैठक में शामिल हुए डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बताया कि किफायती आवासों पर जीएसटी दर में कटौती के फैसले पर बिहार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
इससे पटना जैसे शहरों के आवास क्षेत्र को काफी लाभ मिलेगा. पिछले कई वर्षों से ये क्षेत्र काफी मंदी के दौर से गुजर रहे थे. इन्हें इस फैसले का अब सीधा लाभ मिलेगा. पटना जैसे शहरों में 45 लाख रुपये और 90 वर्ग मीटर एरिया तक वाले किफायती आवासों पर जीएसटी की दर आठ प्रतिशत से घटा कर एक प्रतिशत कर दिया गया है.
इस तरह के आवासों में बिल्डरों को टैक्स इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा. इसके अलावा 45 लाख से ज्यादा कीमत वाले गैर-किफायती आवासों पर टैक्स की दर को 12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी गयी है. ऐसे फ्लैटों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ बिल्डरों को मिलेगा.
पटना जैसे शहरों में ऐसे गैर-किफायती आवासीय परियोजनाओं को भी इसका लाभ मिलेगा, जिसके 15 प्रतिशत एरिया में व्यावसायिक निर्माण किया गया है. यानी आवासीय परियोजनाओं को 15 फीसदी तक व्यावसायिक निर्माण की छूट दी गयी है. जीएसटी काउंसिल के इस निर्णय से किफायती और गैर-किफायती निर्माणाधीन फ्लैट की बिक्री बढ़ेगी और खरीदारों को भी बड़ी राहत मिलेगी.