पटना : विभाजन के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को देखना होगा : डॉ आलोक

पटना : विभाजन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को एक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता है. इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखना होगा. इसका हल तुरंत नहीं निकल सकता. इसलिए इस विषय पर गंभीर चर्चा करने की जरूरत है. तभी कोई हल निकल सकता है. यह बात मनोचिकित्सक डॉ आलोक सरीन ने कही. वह रविवार को शहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2019 8:30 AM
पटना : विभाजन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को एक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता है. इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से देखना होगा. इसका हल तुरंत नहीं निकल सकता. इसलिए इस विषय पर गंभीर चर्चा करने की जरूरत है.
तभी कोई हल निकल सकता है. यह बात मनोचिकित्सक डॉ आलोक सरीन ने कही. वह रविवार को शहर स्थित एक होटल में आयोजित एक पब्लिक टॉक को संबोधित कर रहे थे. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस), पटना की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का विषय था-विभाजन के मनोवैज्ञानिक प्रभाव.
इस दौरान डॉ सरीन ने ‘साइकोलॉजिकल इंपैक्ट ऑफ पार्टिशन इन इंडिया’ नामक पुस्तक के विभिन्न चैप्टर की चर्चा करते हुए मेंटल अस्पतालों व मरीजों से संबंधित अध्ययन साझा किये. उन्होंने बताया कि किताब में कुछ मेंटल अस्पताल व चिकित्सा सेवा से संबंधित मुद्दे उठाये गये हैं.
डॉ सरीन व डॉ संजीव जैन ने इस किताब का संपादन किया है. कार्यक्रम में उन्होंने विषय-वस्तु पर विस्तृत चर्चा की. इससे पूर्व नेशन-स्टेट, स्टेट्सनेस एंड रिफ्यूजीहुड विषय पर समीर दास ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया.

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