भागलपुर के तत्कालीन डीएम और एसपी समेत कई को राहत

पटना : पटना हाइकोर्ट ने भागलपुर के तत्कालीन डीएम विपिन कुमार सहित तत्कालीन एसपी जीतेंद्र कुमार गंगवार, एसडीओ सतेंद्र नाथ श्रीवास्तव, मजिस्ट्रेट राम अनुराग नारायण सिंह, कहलगांव डीएसपी वीरेंद्र नारायण झा, कहलगांव के थाना प्रभारी अजय कुमार मिश्रा तथा एनटीपीसी के जीएम वी मुखर्जी को एक बड़ी राहत दी है. अदालत ने इन सभी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2019 4:14 AM
पटना : पटना हाइकोर्ट ने भागलपुर के तत्कालीन डीएम विपिन कुमार सहित तत्कालीन एसपी जीतेंद्र कुमार गंगवार, एसडीओ सतेंद्र नाथ श्रीवास्तव, मजिस्ट्रेट राम अनुराग नारायण सिंह, कहलगांव डीएसपी वीरेंद्र नारायण झा, कहलगांव के थाना प्रभारी अजय कुमार मिश्रा तथा एनटीपीसी के जीएम वी मुखर्जी को एक बड़ी राहत दी है. अदालत ने इन सभी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया.
न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने मो नूर आलम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं पाते हुए याचिका खारिज कर दी. मो नूर आलम ने भागलपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में 15 अप्रैल, 2008 को एक परिवाद पत्र दायर कर कहा कि 18 जनवरी, 2008 को शाम चार बजे जब वह अपनी बेटी नरगिस के साथ मुहर्रम की खरीदारी करने के लिए कहलगांव स्टेशन चौक आया, तो हल्ला होते देखा.
डीएम के निर्देश पर वहां फायरिंग होने लगी. वहां उपस्थित एसपी ने भी गोली चलायी. घायल अवस्था में स्थानीय लोगों की मदद से इन्हें सरकारी अस्पताल लाया गया. सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के नहीं रहने के कारण प्राइवेट अस्पताल में इलाज किया गया.
दो दिनों के बाद उसकी बच्ची मिल गयी. एसपी ने इनके ऊपर दो गोलियां चलायी थीं, जिसमें एक गोली इनके जांघ में और दूसरी हाथ में लगी थी. निचली अदालत में दायर परिवाद पत्र में परिवादी के अलावा मात्र एक गवाह को पेश किया गया.
गवाही के बाद सीजीएम ने 25 जुलाई, 2014 को दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 203 के तहत परिवाद पत्र को खारिज कर दिया. इस आदेश को हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.

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