एनडीए व महागठबंधन दोनों को था संकल्प रैली का इंतजार, अब सीटों के बंटवारे पर फैसला, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज
पटना : एनडीए की संकल्प रैली खत्म होने के साथ ही बिहार में सीटों को लेकर दोनों गठबंधन में इंतजार की घड़ियां भी अब समाप्त होती दिख रही हैं. बिहार में सीटों की घोषणा व सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए की संकल्प रैली का इंतजार किया जा रहा था. अब सीटों को लेकर दोनों […]
पटना : एनडीए की संकल्प रैली खत्म होने के साथ ही बिहार में सीटों को लेकर दोनों गठबंधन में इंतजार की घड़ियां भी अब समाप्त होती दिख रही हैं.
बिहार में सीटों की घोषणा व सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए की संकल्प रैली का इंतजार किया जा रहा था. अब सीटों को लेकर दोनों गठबंधनों में बात आगे बढ़ेगी. महागठबंधन में अब तक सीटों की संख्या घोषित नहीं की गयी है. जबकि, एनडीए में सीटों की संख्या निर्धारित कर ली गयी है, पर लोकसभा क्षेत्र का बंटवारे अभी नहीं हुआ है.
चुनाव आयोग किसी भी दिन लोकसभा चुनाव की घोषणा कर सकता है. ऐसे में दोनों गठबंधनों पर दबाव है कि वह जल्द सीट शेयरिंग की घोषणा करे. एनडीए की संकल्प रैली के बाद यह माना जा रहा है कि जल्द ही जदयू, भाजपा और लोजपा के बीच लोकसभा क्षेत्रों की घोषणा भी हो जायेगी. लोकसभा चुनाव को लेकर जदयू-भाजपा के बीच 17-17 सीटों के बंटवारे और लोजपा को छह सीटें देने की घोषणा साझी रूप से 23 दिसंबर को ही की जा चुकी है.
इसलिए, अब एनडीए शामिल दलों के नेता व कार्यकर्ता यह जानने को उत्सुक हैं कि किस लोकसभा सीट से किस दल का उम्मीदवार मैदान में होगा. यह माना जा रहा है कि एनडीए के शीर्ष नेता एक-एक सीट को लेकर गंभीर मंथन करने के बाद जल्द ही इसकी घोषणा कर सकते हैं. इधर, महागठबंधन में सीटों की संख्या निर्धारित नहीं हुई है.
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बाद दिल्ली में आप ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बिहार में राजद, लोजद, हम, वीआइपी, वाम दलों के बीच अब तक सीटों को लेकर ठोस निर्णय नहीं हो सका है. महागठबंधन में दो स्तर पर काम किया जाना है. पहले हर दल के बीच सीटों की संख्या निर्धारित करना और इसके बाद लोकसभा क्षेत्र का बंटवारा करना है. महागठबंधन की यह कोशिश थी कि एनडीए की संकल्प रैली के बाद ही सीटों की घोषणा हो.
जदयू
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक सोमवार को होगी. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय कार्सकारिणी की बैठक को अहम माना जा रहा है. प्रदेश कार्यालय मे दिन के 11 बजे सबसे पहले पार्टी पदाधिकारियों की बैठक होगी. इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे. इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी.
बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा होगी. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव संजय वर्मा ने बताया कि बिहार के अलावा हाल के दिनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष की लक्षद्वीप समेत अन्य राज्यों की दौरा को लेकर भी विचार विमर्श किया जायेगा. एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों के बटवारे में जदयू को 17 सीटें मिली है. माना जा रहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने के लिए पार्टी पदाधिकारी पटना पहुंचने लगे हैं.
कांग्रेस
इस सप्ताह सीटों की घोषणा : सदानंद सिंह
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता
सदानंद सिंह ने बताया कि इस सप्ताह महागठबंधन दलों के बीच सीट शेयरिंग की घोषणा हो जायेगी. सीटों को लेकर कोई विवाद नहीं है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा व खुद उन्होंने पार्टी आलाकमान को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है. आलाकमान जल्द ही सीटों को लेकर इसका खुलासा करेगा. यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश व दिल्ली की तर्ज पर बिहार में भी सहयोगियों को छोड़कर जाने का इंतजार किया जा रहा है. सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति बिहार में नहीं आयेगी. यहां महागठबंधन के सभी सहयोगी साथ हैं.
रैली में भीड़ की क्वालिटी थी
जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि लालू प्रसाद ने सही ही कहा है बिहार की जनता वाकई न्यायप्रिय है. इसीलिए तो उनके सामाजिक न्याय के जुमले की हकीकत समझकर सत्ता छीन ली. जनता ने भ्रष्टाचार की योजना को देखते हुए पूरे कुनबे को औकात यूं ही नहीं दिखाई. लाख झूठ बोलिये आपके लिए अंतिम शब्द केवल हार है. सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद वाकई पान की गुमटी पर ही भीड़ इकट्ठा करने योग्य हैं.
सच तो यह है कि आप अब पान की गुमटी पर भी भीड़ जुटाने की स्थिति में नहीं हैं. इतने जतन से भ्रष्टाचार का एंगल सेट करके जो घोटाला किया उसकी वजह से वे खुली हवा में निकलने योग्य भी नहीं रहे. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद की जो भी रैली की है वो सिर्फ शोर हंगामा के अलावा कुछ नहीं होता था. लोग रैली जरूर आते थे लेकिन पटना की सड़कों पर हुडदंगई करने के लिए. संकल्प रैली में भीड़ की क्वालिटी थी वो गंभीर थी और वो गांधी मैदान पहुंचे नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के भाषण को सुना और वहां से अपने घर गये.
तेजस्वी यादव को स्वघोषित नेता बनने की बड़ी चाहत है . बयानवीर बनने से पहले एक ईमानदार जनप्रतिनिधि बनना चाहिए. सबको मालूम है कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों पर नहीं शर्माते। बेनामी संपत्ति के सवाल पर बेशर्मी से इतराते रहते हैं.