पटना : अपना काम-धंधा शुरू करने के लिए बैंकों से नहीं मिल रहा है लोन
पटना : स्वरोजगार योजनाओं के जरिये बेरोजगार युवकों को अपना स्वयं का रोजगार पैदा करना या उद्यमी बनाना सरकार का उद्देश्य है. परंतु इन योजनाओं में बैंक स्पीड ब्रेकर साबित हो रहे हैं. इन योजनाओं में लोन देने में बैंकों की रफ्तार बेहद धीमी या लचर है. बैंक वाले पहले तो लोन देते ही नहीं […]
पटना : स्वरोजगार योजनाओं के जरिये बेरोजगार युवकों को अपना स्वयं का रोजगार पैदा करना या उद्यमी बनाना सरकार का उद्देश्य है. परंतु इन योजनाओं में बैंक स्पीड ब्रेकर साबित हो रहे हैं. इन योजनाओं में लोन देने में बैंकों की रफ्तार बेहद धीमी या लचर है.
बैंक वाले पहले तो लोन देते ही नहीं हैं, अगर देने के लिए तैयार भी होते हैं, तो बेवजह इतना परेशान करते हैं कि संबंधित व्यक्ति इसकी आस ही छोड़ देता है. मुद्रा लोन में 10 लाख तक का लोन बिना किसी वस्तु को मोरगेज रखे या को-लैटरल सिक्यूरिटी के देने का प्रावधान है, लेकिन बावजूद इसके कोई भी बैंक वाले बिना मोरगेज लिये किसी तरह का लोन ही नहीं देते हैं. इस बारे में कई बार शिकायतें मिल चुकी हैं, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. ऐसी ही स्थिति रोजगार सृजन से जुड़ी अन्य योजनाओं की भी है.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के तहत युवाओं को स्वरोजगार के तहत कोई व्यावसायिक प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए लोन देने प्रावधान है. इसके तहत चालू वित्तीय वर्ष में बैंकों को चार हजार 348 युवाओं को लोन देने का टारगेट दिया गया है, जिसमें महज 34 फीसदी उपलब्धि हासिल हुई है. एक हजार 505 लोगों के बीच महज 65 करोड़ रुपये का लोन दिया गया है. छह हजार 300 से ज्यादा आवेदन विभिन्न बैंकों में लंबित पड़े हुए हैं.
ऐसी ही स्थिति स्टैंड-अप इंडिया प्रोग्राम (एसयूआइ) योजना की भी है. अप्रैल 2016 से शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य एससी-एसटी वर्ग के लोगों खासकर महिलाओं को स्वरोजगार के लिए 10 लाख से एक करोड़ तक का लोन देना है. राज्य में मौजूद सभी बैंकों के सात हजार 435 शाखाओं को प्रति शाखा कम से कम 10 लोगों को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है. परंतु तीन साल के दौरान महज 818 बैंक शाखाओं ने 706 महिलाओं, 164 एससी और 18 एसटी को ही लोन दिया है. इसकी हालत भी काफी खराब है.