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लोकसभा चुनावों में खड़ी होने वाली महिलाओं की सफलता दर अधिक, पर दांव नहीं लगातीं पार्टियां

वर्ष 2014 में लड़ने वाली 47 महिलाओं में तीन जीतीं, जबकि आठ दूसरे स्थान पर रहीं सुमित कुमार पटना : हार के लोकसभा चुनावों में खड़ी होने वाली महिलाओं की सफलता का दर भले ही अधिक हो, लेकिन पार्टियां उन पर दांव नहीं लगाना चाहतीं. पिछले तीन लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो […]

वर्ष 2014 में लड़ने वाली 47 महिलाओं में तीन जीतीं, जबकि आठ दूसरे स्थान पर रहीं
सुमित कुमार
पटना : हार के लोकसभा चुनावों में खड़ी होने वाली महिलाओं की सफलता का दर भले ही अधिक हो, लेकिन पार्टियां उन पर दांव नहीं लगाना चाहतीं. पिछले तीन लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि चुनाव मैदान में महिलाओं के मुकाबले पंद्रह गुना तक अधिक पुरुष उम्मीदवार उतरे. लेकिन, सफलता का दर महिलाओं का अधिक रहा. वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में करीब 25 फीसदी, जबकि वर्ष 2004 में करीब 33 फीसदी महिलाएं मुख्य मुकाबले में शामिल रहीं. इन उम्मीदवारों ने पहला या दूसरा स्थान हासिल किया.
आठ सीटों पर महिलाओं ने दी कड़ी टक्कर
2014 के चुनाव में रमा देवी (शिवहर), रंजीता रंजन (सुपौल) एवं वीणा देवी (मुंगेर) जीत हासिल कर सकीं, लेकिन आठ महिलाओं ने जीते उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी. गोपालगंज से डॉ ज्योति भारती, सीवान से हिना शहाब, सारण से राबड़ी देवी, खगड़िया से कृष्णा कुमारी यादव, बांका से पुतल कुमारी, पाटलिपुत्र से मीसा भारती, सासाराम से मीरा कुमार व काराकाट से कांति सिंह दूसरे नंबर पर रहीं.
इस साल 40 लोकसभा सीटों से 54 महिलाओं ने नामांकन पत्र भरा था, जिसमें से सात महिलाओं का नामांकन रद्द हो जाने की वजह से 47 ही चुनाव मैदान में शेष रह गयी थीं.
आधी हिस्सेदारी दिलाने को पार्टियां गंभीर नहीं
जातीय समूहों की समान हिस्सेदारी को लेकर आवाज बुलंद करने वाली पार्टियां संसद में आधी आबादी की हिस्सेदारी को लेकर गंभीरता नहीं दिखतीं. इन आंकड़ों को देख कर समझा जा सकता है कि लोकसभा में महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने की बात कहने वाली पार्टियां संसद तक उनके पहुंचने के रास्ते को कितना मुश्किल बना रही हैं.
वर्ष 2019 के चुनाव में एनडीए द्वारा घोषित उम्मीदवारों की सूची में भी महज तीन महिलाओं रमा देवी (शिवहर), वीणा देवी (वैशाली) और कविता सिंह (सीवान) को जगह दी गयी है, जबकि महागठबंधन दल के उम्मीदवारों की घोषणा होनी बाकी है.
पिछले तीन चुनावों से जीत रहीं महज तीन महिलाएं
वर्ष 2004 लोकसभा चुनाव में 448 पुरुष के मुकाबले महज 14 महिला उम्मीदवार मैदान में उतरीं, जिनमें तीन को जीत मिली, एक रनर अप व एक मुख्य मुकाबले में रहीं. नौ की जमानत जब्त हुई. इसी तरह, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 626 पुरुषों के मुकाबले चुनाव मैदान में उतरी 46 महिलाओं में तीन ने जीत का परचम लहराया, जबकि नौ मुख्य मुकाबले में रहीं. 37 महिलाओं की जमानत जब्त हुई. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तो 560 पुरुषों के मुकाबले मात्र 47 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं. इनमें से तीन ने जीत हासिल की, जबकि आठ महिलाएं दूसरे स्थान पर रहीं. इस चुनाव में 37 महिलाओं की जमानत जब्त हो गयी. तीनों लोकसभा चुनाव में तीन-तीन महिला उम्मीदवार ही संसद तक पहुंच सकीं.

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