पटना : जदयू ने ऐसे दिया उम्मीदवार, 2009 के समीकरण पर अतिपिछड़ों को दिया था टिकट
पटना : जदयू ने वर्ष 2009 के अपने सामाजिक समीकरण को आधार बनाकर वर्ष 2019 के चुनाव में अपने उम्मीदवारों का चयन किया है. इसके तहत ही इस बार 17 सीटों में से अतिपिछड़ा वर्ग के चार उम्मीदवारों को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया है. इसमें झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, […]
पटना : जदयू ने वर्ष 2009 के अपने सामाजिक समीकरण को आधार बनाकर वर्ष 2019 के चुनाव में अपने उम्मीदवारों का चयन किया है. इसके तहत ही इस बार 17 सीटों में से अतिपिछड़ा वर्ग के चार उम्मीदवारों को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया है.
इसमें झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, जहानाबाद से चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और भागलपुर से अजय मंडल शामिल हैं. दरअसल, बिहार में अतिपिछड़ी जातियां करीब 106 हैं और राज्य की आबादी में इनकी हिस्सेदारी 22 से 25 फीसदी तक है. सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में जदयू ने 26 पर चुनाव लड़ा.
इनमें से छह पर जीत मिली. वहीं, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा. इसमें से 20 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा उम्मीदवारों ने 15 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की. यह दोनों चुनाव जदयू ने भाजपा के साथ मिलकर एनडीए के तहत लड़ा था. वहीं 2014 का लोकसभा चुनाव जदयू ने भाकपा के साथ मिलकर लड़ा. दो सीटें बांका और बेगूसराय उसने भाकपा के लिए छोड़ी और 38 पर उसने अपना उम्मीदवार उतारा. इसमें से दो पर जीत दर्ज की.
सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2009 से नया परिसीमन लागू हुआ. इस लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया सामाजिक समीकरण ही लालू प्रसाद के पतन का कारण बना. नीतीश का अतिपिछड़ा, महादलित, पसमांदा मुस्लिम और न्याय के साथ विकास कार्ड सफल रहा और राजद का सफाया हो गया. इस चुनाव में पिछले कइ दशकों के मुकाबले इन मतदाताओं ने जदयू-भाजपा गठबंधन के पक्ष में वोट किया.