पटना : महिलाओं को टिकट देने में उदासीन हैं पार्टियां, कांग्रेस ने किया 33% का पालन, अन्य रह गये पीछे
दीपक कुमार मिश्रा पटना : राजनीतिक दल महिला सशक्तीकरण की बात तो करते हैं, लेकिन चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देेने की बात करने और टिकट देने की जब बारी आती है तो सभी दल उदासीन हो जाते हैं. इस लोकसभा चुनाव में राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने नौ महिलाओं को टिकट […]
दीपक कुमार मिश्रा
पटना : राजनीतिक दल महिला सशक्तीकरण की बात तो करते हैं, लेकिन चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देेने की बात करने और टिकट देने की जब बारी आती है तो सभी दल उदासीन हो जाते हैं. इस लोकसभा चुनाव में राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों ने नौ महिलाओं को टिकट दिया है, लेकिन 33 फीसदी पर सिर्फ कांग्रेस ही खरी उतरी है. महागठबंधन ने छह और एनडीए ने तीन महिलाओं को टिकट दिया है.
राज्य की लोकसभा की 40 सीटें हैं. रालोसपा, हम व वाम दलों ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया. भाजपा और जदयू जैसे प्रमुख दलों ने भी मात्र एक-एक महिला को टिकट दिया. इस मामले में कांग्रेस ने बाजी मारी है. कांग्रेस लोकसभा की नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
कांग्रेस ने तीन सुपौल, मुंगेर और सासाराम सीट पर महिलाओं को टिकट दिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ कहते हैं कि हमारी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं है. हमने तो 33 फीसदी का पालन किया है. राजद के उम्मीदवार 19 सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. राजद ने भी सीवान, पाटलिपुत्र और नवादा से महिला उम्मीदवार उतारा है. राजद के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ चितरंजन गगन कहते हैं, पार्टी में महिलाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है. राजद ही एेसी पार्टी है, जिसने महिला को मुख्यमंत्री बनाया.
एनडीए के दलों ने एक-एक महिला को मैदान में उतारा
एनडीए ने लोकसभा चुनाव में तीन महिलाओं को टिकट दिया है. एनडीए में शामिल सभी दलों ने एक-एक महिला को चुनाव मैदान में उतारा है. भाजपा व जदयू 17-17 और और लोजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
भाजपा ने शिवहर से रमा देवी, जदयू ने सीवान से कविता सिंह और लोजपा ने वैशाली से वीणा सिंह को मैदान में उतारा है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि एनडीए ने तीन महिलाओं को टिकट दिया है. भाजपा 33 फीसदी महिला आरक्षण की पक्षधर है. महिलाओं के उत्थान के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है.
जदयू के प्रवक्ता डाॅ सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि सिर्फ टिकट के सवाल पर महिला सशक्तीकरण को नहीं देखा जाना चाहिए. जदयू ने पंचायत में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. सरकारी नौकरी में 33 फीसदी आरक्षण दिया. महिला आरक्षण को समग्र रूप में देखा जाना चाहिए.