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पटना : तापमान में अचानक उठा-पटक से आमजन बेहाल, ज्यादा कूल एसी चलाने पर इंफेक्शन की संभावना
आठ दिन में अधिकतम तापमान नौ डिग्री कम, अप्रैल के दिन अब तक रहे सामान्य से ठंडे पटना : राजधानी के तापमान में अप्रत्याशित बदलाव देखे जा रहे हैं. चैत तपने की बजाय कुछ ठंडा महसूस हो रहा है. पिछले आठ दिनों में करीब 9 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई है. जबकि, उससे पहले […]
आठ दिन में अधिकतम तापमान नौ डिग्री कम, अप्रैल के दिन अब तक रहे सामान्य से ठंडे
पटना : राजधानी के तापमान में अप्रत्याशित बदलाव देखे जा रहे हैं. चैत तपने की बजाय कुछ ठंडा महसूस हो रहा है. पिछले आठ दिनों में करीब 9 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई है.
जबकि, उससे पहले के हफ्ते (मार्च उत्तरार्ध) के अंतिम आठ दिन और रात का तापमान सामान्य से अधिक ही रहा. अधिकतम तापमान तो चालीस डिग्री तक पहुंच गया था. ऐसे हालात में आम लोगों खासतौर पर बच्चों व बुजुर्गों के लिए कठिन स्थितियां बन सी गयी हैं. कुल मिला कर मार्च के उत्तरार्ध ने तपाया और अप्रैल का पहला हफ्ता ठंडा महसूस हो रहा है.
मौसम में हो रहा बदलाव इतना तेज हैं कि आम आदमी समझ ही नहीं पा रहा कि वह कौन से एहतियात बरते कि बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित न हों.
उदाहरण के लिए पिछले 72 घंटे में मौसम ने तीन बार यू टर्न लिया. सोमवार को ही दिन का तापमान सामान्य से केवल दो डिग्री कम रहा. इससे पहले रविवार को दिन का तापमान सामान्य से 5 डिग्री नीचे रहा. जबकि, एक दिन और पहले शनिवार को तापमान कुछ बढ़ गया. पिछले दो दिन और रात का तापमान सामान्य से चार डिग्री तक अधिक रहा.
मौसम पर दिख रहा साइक्लोनिक असर
सबसे ज्यादा असर आम और लीची की फसल पर पड़ेगा. उन पर कीट का असर ज्यादा हो सकता है. उनकी परिपक्वता पर भी असर पड़ेगा.
बुजुर्ग और बच्चों की मनोदशा भी प्रभावित होती है
कनवेक्टिव बादलों ने मौसम में बदलाव किये हैं. अक्सर हर दो साल में यह स्थितियां बनती हैं. इसका असर मानव जीवन पर पड़ेगा. बीमारियां पनपेंगी. साइक्लाेनिक असर के चलते अप्रैल का महीना ठंडा ही जाने वाला है.
डाॅ प्रधान पार्थ सारथी, वरिष्ठ मौसम विज्ञानी
पटना : ज्यादा कूल एसी चलाने पर इंफेक्शन की संभावना
पटना : बदलते मौसम में बच्चों का ध्यान रखे जाने की जरूरत है. इंडियन एकेडमी आॅफ पेडियेट्रिक्स के राज्य अध्यक्ष सह एनएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि ऐसे वक्त में एसी ज्यादा कूल चलाने पर इंफेक्शन की संभावना बनी रहती है.
इस मौसम में धूल उठने की वजह से एलर्जी वाले बच्चों में सांस की तकलीफ बढ़ सकती है. अप्रैल-मई महीने में ही डायरिया का खतरा अधिक होता है, इसलिए बाहरी खान-पान से बचें. घर का फ्रेश खाना ज्यादा बेहतर रहेगा. इस मौसम में सावधानी के लिए लोग बच्चों को अधिक कपड़े पहना देेते हैं, जो इचिंग का कारण बन जाता है. इसलिए साफ कपड़े पहचाएं.
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