मसौढ़ी : विद्यालय में एक शिक्षिका पर 240 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा
तीन माह से बंद है मध्याह्न भोजन, बीइओ को नहीं है पता, शिक्षिका अपने भाई व बहन का सहयोग लेती हैं पढ़ाने में मसौढ़ी : प्रखंड मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय करवां में पदस्थापित मात्र एक शिक्षिका कविता कुमारी पर 240 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा है. शिक्षा विभाग के […]
तीन माह से बंद है मध्याह्न भोजन, बीइओ को नहीं है पता, शिक्षिका अपने भाई व बहन का सहयोग लेती हैं पढ़ाने में
मसौढ़ी : प्रखंड मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय करवां में पदस्थापित मात्र एक शिक्षिका कविता कुमारी पर 240 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा है.
शिक्षा विभाग के अधिकारी को इसकी जानकारी रहते हुए भी कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है. हालांकि, शत प्रतिशत छात्रों को उपस्थिति विद्यालय में नहीं रहती, बावजूद पदस्थापित एकमात्र शिक्षिका कविता कुमारी बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने भाई व बहन का सहयोग लेती हैं ताकि बच्चों का भविष्य संवर सके. मजेदार तथ्य है कि विद्यालय में करीब तीन माह से मध्याह्न भोजन बंद है, इसकी जानकारी आज तक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रंग बहादुर सिंह को नहीं है.
बुधवार को दोपहर 12.35 मिनट होने को था उसी वक्त प्रभात खबर की टीम विद्यालय में पहुंची. कुछ लड़के विद्यालय के बाहर खेल रहे थे. वहीं, शिक्षिका कविता कुमारी के भाई बच्चों को पढ़ा रहे थे. टीम को देख उन्होंने कविता जो घर खाना खाने गयी थीं उन्हें फोन कर बुलाया. उस वक्त विद्यालय में मात्र तीस बच्चे थे, जिसमें कुछ खेल रहे थे तो कुछ पढ़ाई कर रहे थे. हालांकि, कविता कुमारी का कहना था कि सुबह 40 बच्चों की हाजिरी बनी है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में कुल 240 बच्चे नामांकित हैं. उनका कहना था कि शिक्षक की कमी को दूर करने के लिए बीइओ व डीइओ समेत बीडीओ से कई बार लिखित रूप से शिकायत कर चुकी हूं. इसके बावजूद उनके ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ा.
इधर, उन्होंने बताया कि तीन माह से मध्याह्न भोजन नहीं बना है, जिसका मुख्य कारण है कि हमें यहां केवल शैक्षणिक प्रभार मिला है, वित्तीय प्रभार बगल के स्कूल इस्लामपुर के प्रधानाध्यापक राम विनय शर्मा के पास है. राम विनय शर्मा को अपने विद्यालय से ही फुर्सत नहीं मिलती. दूसरा प्रमुख कारण उन्होंने बताया कि विद्यालय में एक भी चापाकल नहीं है. इस वजह से बच्चों को पीने के पानी के लिए गांव में जाना पड़ता है. इस स्थिति में उनके लिए खाना कैसे बन पायेगा.
बाहर खेल रहे एक बच्चे ने बताया कि पढ़ाई नहीं हो रही थी इस कारण से खेल रहे थे. उसे यह पता नहीं था की विद्यालय में कौन शिक्षक पदस्थापित है. समय से स्कूल भी नहीं चलता.
सरोज कुमार ,वर्ग छह
ढेर दिन से खाना नहीं बना है. हमलोगों को खाना मिलेगा ही नहीं तो स्कूल आकर क्या करेंगे. हमलोगों को जो पढ़ा देता है उसी से पढ़ लेते हैं.
सतीश कुमार,वर्ग पांच
एक से दो दिनों में करवां विद्यालय में एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति कर दी जायेगी. मध्याह्न भोजन नहीं बनने की हमें जानकारी नहीं है.
रंग बहादुर सिंह, बीइओ
पहले विद्यालय में कविता कुमारी व मंजू कुमारी दो शिक्षिका पदस्थापित थीं. दोनों एक ही गांव की थीं. किसी- न- किसी बात को लेकर अक्सर उनमें झगड़ा होते रहता था. बीते दो माह पूर्व इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम के आदेश पर एक शिक्षिका मंजू कुमारी को बगल के गांव खरोज स्थित प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित कर दिया गया है.
सुधीर कुमार सिंह, संकुल समन्वयक