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बिहार में हार चुके हैं बड़े-बड़े दिग्गज नेता, जानें

मिथिलेश मुंगेर में मधुलिमये व जमशेदपुर में हार गये थे वामपंथी दिग्गज केदार दास पटना : बिहार के राजनीतिक अखाड़े में कोई भी योद्धा अजेय नहीं रहा है. पुरानी पीढ़ी के बाबू जगजीवन राम को छाेड़ दिया जाये, तो अधिकतर बड़े नेताओं को चुनावी शिकस्त खानी पड़ी है. 1960 के दशक में ललित नारायण मिश्र, […]

मिथिलेश
मुंगेर में मधुलिमये व जमशेदपुर में हार गये थे वामपंथी दिग्गज केदार दास
पटना : बिहार के राजनीतिक अखाड़े में कोई भी योद्धा अजेय नहीं रहा है. पुरानी पीढ़ी के बाबू जगजीवन राम को छाेड़ दिया जाये, तो अधिकतर बड़े नेताओं को चुनावी शिकस्त खानी पड़ी है.
1960 के दशक में ललित नारायण मिश्र, बीपी मंडल, सीताराम केसरी,भूपेंद्र नारायण मंडल और बाद के दिनों में केदार पांडेय, कर्पूरी ठाकुर, जार्ज फर्नांडीस और मधुलिमये को भी पराजय का सामना करना पड़ा. चुनाव हारने वालों में पूर्व सीएम अब्दुल गफूर, महामाया प्रसाद सिन्हा, राम लखन सिंह यादव के भी नाम हैं. अविभाजित बिहार में 1971 के आम चुनाव में जमशेदपुर (अब झारखंड)से वामपंथी दिग्गज केदार दास भी महज कुछ सौ मतों से पराजित हो गये थे.
इंदिरा लहर में हारे थे कर्पूरी ठाकुर
राजनीति में जिस समय पिछड़ी जातियों का दबदबा बढ़ रहा था, उसी दौर में 1984 का आम चुनाव आ गया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में लहर थी.
इस चुनाव में पिछड़ों के मसीहा माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को समस्तीपुर से हार का सामना करना पड़ा था. 1985 में बांका में उप चुनाव हुआ. इस चुनाव में समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडीस पराजित हो गये. उनके खिलाफ चंद्रशेखर सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह कांग्रेस की उम्मीदवार के तौर पर खड़ी थीं.
1962 में 15 हजार मतों से हारे थे एलएन मिश्र
आजादी के बाद के दिनों में कांग्रेस की ताकत बढ़ती जा रही थी. उसी तेजी से ललित नारायण मिश्र का कद भी बढ़ रहा था. कांग्रेस के दमखम वाले नेताओं में उनकी गिनती होने लगी थी. उन्हीं दिनों 1962 का आम चुनाव हुआ.
चुनाव में ललित नारायण मिश्र सहरसा की सीट पर सोशलिस्ट के उम्मीदवार भूपेंद्र नारायण मंडल से 15 हजार मतों से चुनाव हार गये. बाद में उनकी हार का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इसी तरह1971 के आम चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से चुनाव हार गये. इसी चुनाव में समाजवादी नेता मधु लिमये मुंगेर लोकसभा सीट पर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे. वे कांग्रेस के डीपी यादव से पराजित हो गये. 1971 के ही चुनाव में भारतीय जनसंघ के दिग्गज कैलाशपति मिश्र को भी पटखनी खानी पड़ी थी.
वह पटना से उम्मीदवार थे. भाकपा के रामावतार शास्त्री ने उन्हें करीब 80 हजार मतों से पराजित किया. इसी चुनाव में पूर्व रेल मंत्री रामसुभग सिंह को भी बक्सर सीट पर कांग्रेस के अनंत प्रसाद शर्मा से करीब 30 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा.

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