लोकसभा चुनाव : बीच समर में फ्रेंडली फाइट से सकते में दोनों गठबंधन, मधुबनी से कांग्रेस के डॉ शकील भी ठोंकेंगे ताल

सुपौल में निर्दलीय के प्रति राजद नेताओं का झुकाव पटना : लोकतंत्र का महासमर शुरू है. पहले चरण का चुनाव हो चुनाव है. दूसरे चरण का चुनाव गुरुवार को होने वाला है. इसी बची सत्ता के दावेदार दोनों ही गठबंधनों के घटक दलों के बीच फ्रेंडली फाइट के हालात बन गये हैं. मधुबनी, बांका, अररिया, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2019 7:42 AM
सुपौल में निर्दलीय के प्रति राजद नेताओं का झुकाव
पटना : लोकतंत्र का महासमर शुरू है. पहले चरण का चुनाव हो चुनाव है. दूसरे चरण का चुनाव गुरुवार को होने वाला है. इसी बची सत्ता के दावेदार दोनों ही गठबंधनों के घटक दलों के बीच फ्रेंडली फाइट के हालात बन गये हैं.
मधुबनी, बांका, अररिया, वाल्मीकिनगर, सुपौल, महाराजगंज आदि ऐसी कुछ सीटें हैं, जहां दोस्ताना संघर्ष के आसार बन रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन के शीर्ष नेता इस नयी समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे, लेकिन संसद की सीढ़ियां चढ़ने को बेताब उम्मीदवारों के पैर रुक नहीं रहे. मधुबनी सीट महागठबंधन में वीआइपी को दी गयी है. इस सीट पर कांग्रेस भी दावेदार रही है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ शकील अहमद को उम्मीद थी कि यह सीट कांग्रेस की झोली में आयी तो उन्हें उम्मीदवार बनाया जायेगा. लेकिन, जब महागठबंधन में कांग्रेस को यह सीट नहीं मिली तो वह हिल गये. उन्होंने दोस्ताना संघर्ष करने का एलान किया है. डाॅ शकील ने अपनी पार्टी को दो फाॅर्मूला सुझाया है.
पहला, कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर उन्हें नामांकन की अनुमति मिले. इसके लिए वह झारखंड की चतरा सीट का उदाहरण देते हैं, जहां राजद और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशी मैदान में हैं. डाॅ शकील का दूसरा फाॅर्मूला सुपौल के तर्ज पर है. सुपौल में कांग्रेस की रंजीता रंजन महागठबंधन की घोषित उम्मीदवार हैं. डॉ शकील का दावा है कि वहां राजद का झुकाव एक निर्दलीय उम्मीदवार की तरफ है.
उनका कहना है कि वह निर्दलीय भी उम्मीदवार बनने को तैयार हैं, पार्टी उन्हें समर्थन देेने की घोषणा करे. डाॅ शकील की तरह वाल्मीकिनगर में एनडीए को दोस्ताना संघर्ष का नुकसान उठाना पड़ सकता है. यहां के मौजूदा भाजपा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने सीटों के बंटवारे में इस सीट जदयू को दिये जाने से नाराज हैं.
उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवारी का एलान किया है. उन्होंने बाकायदा चुनाव सभाएं भी आरंभ कर दी हैं. अपनी सभाओं में वह कहते हैं कि जीतने पर भाजपा के ही साथ जायेंगे. एनडीए में जदयू ने यहां से पूर्व सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. दुबे की मौजूदगी से एनडीए का जोखिम बढ़ सकता है.
बांका सीट पर दूसरे चरण में गुरुवार को वोट पड़ेंगे. वहां भाजपा से निष्कासित पूर्व सांसद पुतुल कुमारी निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उनके समर्थक भी क्षेत्र में यही कहते कि मैडम चुनाव जीत जायेंगी तो एनडीए के साथ ही रहेंगी. पुतुल लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही हैं.
महाराजगंज सीट पर भाजपा के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने 22 अप्रैल को नामांकन करने का एलान कर रखा है. उनकी दावेदारी से एनडीए के वोट पर प्रभाव पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता. इसी प्रकार जहानाबाद की स्थिति है. जहानाबाद के मौजूदा सांसद अरुण कुमार ने यहीं से निर्दलीय या अपनी पार्टी राष्ट्रीय समता पार्टी सेकुलर की टिकट पर चुनाव लड़ने का एलान किया है. इलाके के लोगों का मानना है कि डॉ अरुण कुमार के मैदान में डटे रहने से एनडीए को परेशानी हो सकती है.
तेजप्रताप ने तीन सीटों पर उतारे अपने उम्मीदवार
लालू-राबड़ी के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने अपने तीन खास लोगों को पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के इतर चुनाव मैदान में उतार दिया है. हाजीपुर सुरक्षित सीट से बालेंद्र दास, जहानाबाद सीट पर चंद्रप्रकाश यादव और शिवहर की सीट पर अंगेश सिंह उनके उम्मीदवार हैं. ये तीनों अंतिम समय तक चुनाव मैदान में डटे रहे तो इसका नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है.

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