लोकतंत्र बचाने के लिए एकजुटता पर दिया बल
पटना : आज भारतीय गणतंत्र हर तरफ से चुनौतियों से घिरा है. संविधान, संवैधानिक संस्थाएं अौर नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर सबसे ज्यादा खतरा वर्तमान सरकार से है. पिछले पांच सालों में जो हुआ है, इससे लोकतंत्र के मौलिक अधिकार खत्म हो गये हैं.
देश का संविधान, लोकतंत्र व सभ्यता खतरे में है. ये बात प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को बीआइए सभागार में कहीं. वे यहां लोकतांत्रिक जन पहल की तरफ से आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 69 साल पहले संविधान बना तो गणतंत्र बनाया गया.
विभिन्न धाराओं में धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, मौलिक अधिकारों की बात कही गयी. अभिव्यक्ति की आजादी समेत कई अधिकार व जीने का अधिकार दिये गये, लेकिन आज यह कहीं गुम हो रहा है. कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के कार्यों को बांटा गया. ईमानदारी से चुनाव हो, इसके लिए चुनाव आयोग बना. सरकारी खर्चों पर नजर रखने के लिए सीएजी बना. कई कानूनी संस्थाएं बनीं, सीबीआइ बनी, भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई संस्थाएं बनीं. आज यह सवाल है कि गणतंत्र बना, अधिकार मिले लेकिन क्या हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा हो रही है?
पिछले पांच सालों में देश में हर स्तर पर नुकसान हुआ है. वोट देने की बात पर उन्होंने कहा कि जब वोट डालने जाते हैं तो कई चीजों को देखते हैं. हम जीतने वाले को वाेट देते हैं. हम सरकार चुन रहे हैं, यह भी देखते हैं. भले ही कोई कितनी खराब क्यों न हो, अगर व सत्ता की दौड़ में हैं तो उसे वोट दे देते हैं. जो जितना दिखायी देता है उस आधार पर वोट तय करते हैं. यह सब पैसों के आधार पर होता है. नरेंद्र मोदी की रैली में ठेके पर लोग आते हैं.
सरकारी पंजे में बड़े घराने : प्रशांत भूषण ने कहा कि आज झूठ फैलाने का तंत्र व्यापक रूप ले चुका है. सोशल साइट्स द्वारा झूठ फैलाये जा रहे हैं. पांच सालों में बड़े घराने सरकार के पंजे में हैं. सवाल पूछने वालों को धमकी दी जा रही है. उन्होंने अपने फॉर्म reclaimingtherepublic.in के बारे में बताया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एपी शाह की अध्यक्षता में हमने गणतंत्र की पुनर्बहाली के लिए उठाये जाने वाले अनिवार्य कदमों का एक दस्तावेज आम जनता के सामने रखा है, जिसके लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा. अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज सबसे ज्यादा हमला गरीब तबके के अधिकारों व उनके जनसंगठनों पर हो रहा है. सांप्रदायिकता, राष्ट्रवाद का नकाब ओढ़ कर इस चुनाव में खड़ी है. उसे शिकस्त देना होगा. इससे पहले फोरम का परियच सत्यनारायण मदन ने दिया. इस मौके पर शिवमूर्ति, अधिवक्ता मणिलाल, कंचनबाला, अफजल हुसैन आदि मौजूद थे.