पटना : वाटर कनेक्शन से दो लाख आशियाने दूर, निजी बोरिंग से प्यास बुझाते हैं लोग
प्रभात रंजन पटना : नगर निगम बनने के बाद वर्ष दर वर्ष मकानों की संख्या के साथ साथ क्षेत्र का विस्तार होते रहा. 37 वार्डों से बढ़ कर 75 वार्ड और ढाई लाख से बढ़ कर निगम क्षेत्र की आबादी 16 लाख हो गयी. लेकिन, शहर की जलापूर्ति व्यवस्था को विस्तार नहीं किया गया. स्थिति […]
प्रभात रंजन
पटना : नगर निगम बनने के बाद वर्ष दर वर्ष मकानों की संख्या के साथ साथ क्षेत्र का विस्तार होते रहा. 37 वार्डों से बढ़ कर 75 वार्ड और ढाई लाख से बढ़ कर निगम क्षेत्र की आबादी 16 लाख हो गयी. लेकिन, शहर की जलापूर्ति व्यवस्था को विस्तार नहीं किया गया. स्थिति यह है कि जर्जर पाइप व बोरिंग के सहारे शहर के सिर्फ 60 प्रतिशत आशियाने में ही जलापूर्ति कनेक्शन हैं. करीब दो लाख आशियाने अब भी जलापूर्ति कनेक्शन से वंचित है. जर्जर जलापूर्ति व्यवस्था होने की वजह से लोगों को मजबूरन निजी बोरिंग लगाना पड़ रहा है.
40 वर्ष पुरानी पाइप लाइन से हो रही है जलापूर्ति, घरों में पहुंच रहा गंदा पानी
30-35 वर्ष पुराने मुहल्ले भी निजी बोरिंग के भरोसे
न्यू बाइपास के दक्षिण एक दर्जन से अधिक कॉलोनियां हो या फिर राजीव नगर, रूपसपुर, जगदेव पथ, पटना सिटी दर्जनों मुहल्ले. इन मुहल्लों में लोग पिछले 30-35 वर्षों से मकान बना कर रह रहे हैं और आज भी मकान बनाने की सिलसिला जारी है. लेकिन, नगर निगम प्रशासन ने इन कॉलोनियों में सप्लाइ वाटर पहुंचने के लिए नहीं बोरिंग लगाये और नहीं जलापूर्ति पाइप बिछाया. स्थिति यह है कि लोगों को मकान बनाने से पहले बोरिंग लगाने को मजबूर होते है.
ध्वस्त है निगम क्षेत्र की जलापूर्ति व्यवस्था
नगर निगम क्षेत्र के करीब 60 प्रतिशत मकानों में 87 पंप हाउस के सहारे पीने के पानी पहुंचाया जा रहा है. लेकिन, जलापूर्ति पाइप लाइन 40 वर्ष पुराना हैं, जो जर्जर हो गया है. इससे हमेशा दर्जनों जगहों पर पाइप लाइन लिकेज की समस्या बनी रहती है. पाइप लाइन लिकेज होने से घरों में गंदा पानी पहुंचने के साथ साथ हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद हो रहा है. इसके बावजूद निगम क्षेत्र की जलापूर्ति व्यवस्था दुरुस्त नहीं किये जा रहे है.
सिर्फ योजना का बढ़ता गया बजट आकार
नगर आवास विकास विभाग के निर्देश पर वर्ष 2012 में बुडको प्रशासन ने 534 करोड़ की लागत से पटना जलापूर्ति योजना बनाया. इस योजना के तहत आधे पटना को ग्राउंड वाटर व आधे पटना को गंगाजल 24 घंटे व सातों दिन पहुंचाना था. योजना पर अगस्त 2014 तक चला और इसके बाद वर्ष दर वर्ष योजना की बजट आकार बढ़ता चलाया गया. लेकिन, योजना अब तक धरातल पर नहीं उतारी जा सकी है.
अब भी 18 वार्डों में ही सिमटी है योजना, करोड़ों हुए खर्च
वर्ष 2012 में बुडको प्रशासन ने जिस निजी एजेंसी को चयनित किया, वह सौ करोड़ रुपये खर्च कर सिर्फ 18 वार्डों में आधा-अधूरा जल मीनार और करीब 33 किलोमीटर जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाया. अब विभागीय निर्देश पर निजी एजेंसी की छोड़े गये कार्य को निगम व बुडको पूरा कर रहा है. हालांकि, बुडको पांच वार्ड व निगम 13 वार्डों में योजना पूरा करेगी. लेकिन, निगम के अभियंता की अनदेखी की वजह से योजना टेंडर प्रक्रिया में लटकी हुई है.