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पीएमसीएच की मैली चादर कर रही बीमार, गंदे चादर की शिकायत करने के बाद भी नहीं होती है कार्रवाई

आनंद तिवारी, पटना : मरीजों को साफ-सफाई का पाठ पढ़ाने वाले पटना मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था ही सवालों के घेरे में आ गयी है. मरीज गंदी चादरों पर लेट कर इलाज कराने को मजबूर हैं. हालत यह है कि दो से तीन दिन बाद भी मरीजों को साफ चादरें नहीं मिल पा रही हैं. लापरवाही […]

आनंद तिवारी, पटना : मरीजों को साफ-सफाई का पाठ पढ़ाने वाले पटना मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था ही सवालों के घेरे में आ गयी है. मरीज गंदी चादरों पर लेट कर इलाज कराने को मजबूर हैं. हालत यह है कि दो से तीन दिन बाद भी मरीजों को साफ चादरें नहीं मिल पा रही हैं.

लापरवाही से मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. गंदे बेड व चादर को लेकर मरीज लगातार जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित में शिकायत कर रहे हैं, बावजूद स्थिति जस-की-तस है.
रोज बदलने का है नियम : पीएमसीएच में कुल 1800 बेड हैं. सभी बेड भरे रहते हैं. इमरजेंसी वार्ड में तो मरीज जमीन पर भी इलाज कराते हैं. अस्पताल प्रशासन के नियमानुसार रोज चादर और तकिया का गिलाफ बदलने का नियम है.
दो से तीन दिन पर भी नहीं बदली जा रही है चादर, रोज बदलने का है नियम
कागजों पर चादरों की धुलाई का खेल भी खूब हो रहा है. हालत यह है कि दो से तीन दिन बाद भी चादरें नहीं बदली जा रही हैं. पीएमसीएच में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के निरीक्षण के बाद आदेश दिया गया था कि कर्मचारी प्रतिदिन वार्ड की चादरें और गिलाफ बदले जायेंगे.
इसके इतर अस्पताल के उपाधीक्षक ने खुलासा कर दिया है कि कुछ विभागों की सिस्टर इंचार्ज न तो अपने स्तर से बेडों पर बिछी चादरें बदलवाती हैं, न ही चादर धुलाई का जिम्मा संभाले निजी कंपनी की ओर से चादर बदले जा रहे हैं.
सोने की मजबूरी
पीएमसीएच में बेहतर इलाज की सुविधा के लिए छह करोड़ से अधिक रुपये मिले हैं. भारी भरकम बजट होने के बाद भी मरीजों को सही व साफ-सुथरी चादरें मुहैया नहीं करायी जा रही हैं. मरीज रैक्सीन के बिस्तर पर लेट कर इलाज कराने को मजबूर हैं. यह स्थिति पिछले कई वर्षों से लगातार बनी हुई है.
कभी-कभार ले जाते हैं धोने के लिए
बीतें दिनों हड्डी रोग विभाग के एक डॉक्टर ने अस्पताल प्रशासन से फटी व गंदी चादरें बिछाने की शिकायत दर्ज की थी. इस पर ऑउटसोर्सिंग लाउंड्री के अधिकारियों ने तर्क दिया है कि विभागों में बेड के अनुपात में धुलने के लिए चादरें काफी कम होती हैं. इतना ही नहीं धोने वाले कर्मचारी भी वार्ड में चादर लेने कभी-कभी आते हैं. नतीजा धुलने के लिए कम चादरें अस्पताल से आती हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
हर दिन चादर को सभी वार्डों में बदलना है. इसका निर्देश सभी सिस्टर इंचार्ज से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को दिया गया है. हमने कई बार निरीक्षण भी किया और जहां चादर गंदे पाये गये, तो जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया गया है. रही बात फिर से गंदे चादर की तो औचक निरीक्षण कर मामले की सच्चाई का पता लगाया जायेगा और गलती पाये जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
डॉ आरके जमैयार, उपाधीक्षक, पीएमसीएच

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