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लोकसभा चुनाव को लेकर भाषणों में नेता उठा रहे मुद्दे, नीतीश विकास तो तेजस्वी का मुद्दा आरक्षण
पटना : राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर भाषणों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए सरकार के किये गये विकास के कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं. वहीं, तेजस्वी यादव के भाषण आरक्षण और रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित हैं. दोनों नेता अपने भाषणों से आमलोगों को अपने-अपने पक्ष में आकर्षित करने में जुटे […]
पटना : राज्य में लोकसभा चुनाव को लेकर भाषणों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए सरकार के किये गये विकास के कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं. वहीं, तेजस्वी यादव के भाषण आरक्षण और रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित हैं. दोनों नेता अपने भाषणों से आमलोगों को अपने-अपने पक्ष में आकर्षित करने में जुटे हैं. इन सबमें राज्य के कई अहम मुद्दे भी गायब हैं. इनमें विशेष राज्य का दर्जा, राज्य में औद्योगिकीकरण, ग्राउंड वाटर लेवल का गिरता स्तर सहित किसानों के मुद्दे शामिल हैं.
नेताओं के भाषणों के बारे में राजनीति के जानकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य में बिजली, सड़क सहित अन्य क्षेत्रों में जो काम किया है उसे लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि लोग राज्य में हुए विकास के आधार पर जातिगत समीकरण को पीछे छोड़ देंगे. उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवारों कोवोट देंगे और उनकी जीत होगी. वहीं तेजस्वी वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव
में आरक्षण का मुद्दा उठने से पार्टी और उनके महागठबंधन को हुए लाभ को देखकर हीइस रणनीति पर काम कर रहे हैं. वहीं रोजगार का मुद्दा वे युवाओं को ध्यान में रखकर उठा रहे हैं क्योंकि बेरोजगारी आज भीबड़ी समस्या है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भाषण में नेताओं के इन मुद्दों के बारे में समाजशास्त्री प्रो डीएम दिवाकर कहते हैं कि यह सब कुछ अवसरवादी राजनीति है. दोनों पक्ष इस राजनीति से जनता को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले केवल विकास के आधार पर मजदूरी मांग रहे थे.
वहीं अब भाजपा की बात को भी अपने भाषण में शामिल करने लगे हैं. वे कहते हैं कि देश का मान बढ़ा है, गरीबों का सम्मान बढ़ा है. साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी पहली बार अपनी जाति बताकर चुनाव लड़ रहे हैं.
भाजपा भी पहले आरक्षण से किनारा करती थी, लेकिन अब दलित और सवर्ण आरक्षण देकर वह कह रही है कि वह आरक्षण विरोधी नहीं है. तेजस्वी यादव रोजगार के मुद्दे को पहले से उठाते रहे हैं, लेकिन सवर्ण आरक्षण लागू होने के बाद से उन्होंने इसे मुद्दा बनाया है. चूंकि लालू प्रसाद ने आरक्षण को मुद्दा बनाया था, इसलिए तेजस्वी भी आरक्षण का मुद्दा उठाकर लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं.
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