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वाम दलों ने उम्मीदवारों के लिए की क्राउड फंडिंग, राजू से आगे रहे कन्हैया
पटना : चुनाव जीतने के लिए पैसे की जरूरत हर पार्टी को है. यही कारण है कि इस लोकसभा चुनाव में वाम दलों ने इंटरनेट व अन्य माध्यमों से लोगों से पैसे देने की अपील की. वाम दलों की दो ऐसी सीटें बेगूसराय व आरा के उम्मीदवार सामान्य आर्थिक परिवारों से हैं. न बहुत अमीर, […]
पटना : चुनाव जीतने के लिए पैसे की जरूरत हर पार्टी को है. यही कारण है कि इस लोकसभा चुनाव में वाम दलों ने इंटरनेट व अन्य माध्यमों से लोगों से पैसे देने की अपील की. वाम दलों की दो ऐसी सीटें बेगूसराय व आरा के उम्मीदवार सामान्य आर्थिक परिवारों से हैं. न बहुत अमीर, न ज्यादा गरीब.
इसलिए दोनों प्रत्याशियों ने क्राउडफंडिंग का सहारा लिया. इसमें दिलचस्प बात यह है कि बेगूसार से वाम दलों के उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने 70 लाख रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा, जिसे एक सप्ताह से भी कम समय में पूरा कर लिया गया. वहीं, आरा से वाम दलों के प्रत्यााी राजू यादव को सिर्फ ढाई लाख रुपये का ही चंदा मिल पाया. कन्हैया को सबसे ज्यादा एक व्यक्ति से पांच लाख रुपये का चंदा मिला. राजू यादव के खाते में सबसे बड़ा चंदा सिर्फ दस हजार रुपये ही आये.
आरा सीट पर सीधी लड़ाई, बेगूसराय में त्रिकोणीय मुकाबला : कन्हैया भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर बेगूसराय सीट से मैदान में हैं. यहां त्रिकोणीय मुकाबला है. यहां से दो प्रमुख उम्मीदवार हैं, बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह व महागठबंधन के तनवीर हसन. वहीं, राजू यादव आरा सीट से भाकपा-माले के उम्मीदवार हैं. यहां से बीजेपी के उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री आरके सिंह से सीधे मुकाबले में हैं.
अन्य वाम दलों के उम्मीदवारों को कितना मिला चंदा
बाकी चार सीटों पर खड़े उम्मीदवार चुनावी दौरा में लोगों से वोट व नोट मांग रहे हैं. भाकपा-माले ने जहानाबाद से कुंती देवी, काराकाट से राजाराम सिंह और सीवान से अमरनाथ यादव को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने इन तीनों के लिए वोट और नोट का फाॅर्मूला अपनाया है, जिसमें तीनों सीट को जोड़ देने पर भी रकम 15 लाख से अधिक नहीं हो पायी. उजियारपुर से माकपा ने अजय कुमार को उम्मीदवार बनाया है. इसके नाम पर लगभग दो लाख से कम राशि जमा हो पायी है.
नेता पुराने होने के बाद भी राजू यादव पर भारी कन्हैया : कन्हैया व राजू को चंदा देने वालों में फर्क का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कन्हैया को 8.75 लाख रुपये सिर्फ पांच लोगों से मिल गया और एक सप्ताह में 70 लाख जमा करने के बाद चंदा लेना बंद कर दिया. वहीं, राजू को पांच लोग मिलकर पचास हजार नहीं जुटा पाये. यह बात सही है कि राजू यादव पुराने नेता हैं, लेकिन वह इस मामले में कन्हैया से पीछे रह गये.
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