पटना : 14 वर्ष बाद भी अंगीभूत कॉलेजों में चल रही इंटर की पढ़ाई
वर्ष 2006 में अलग करने का जारी हुआ था सर्कुलर प्रदेश के 248 अंगीभूत काॅलेजों में करीब तीन लाख से अधिक बच्चे नामांकन पाते हैं पटना : पटना विश्वविद्यालय के अलावा प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत काॅलेजों में इंटर की पढ़ाई हो रही है. जबकि, 14 वर्ष पहले ही आदेश जारी किया गया था […]
वर्ष 2006 में अलग करने का जारी हुआ था सर्कुलर
प्रदेश के 248 अंगीभूत काॅलेजों में करीब तीन लाख से अधिक बच्चे नामांकन पाते हैं
पटना : पटना विश्वविद्यालय के अलावा प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत काॅलेजों में इंटर की पढ़ाई हो रही है. जबकि, 14 वर्ष पहले ही आदेश जारी किया गया था कि दोनों वर्गों की पढ़ाई अलग अलग कर दी जाये.
यह बात और है कि पटना विश्वविद्यालय के अलावा किसी भी विश्वविद्यालय ने अभी तक आदेश का पालन करने की जहमत नहीं उठायी है. वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग की ओर से जारी सर्कुलर को हर साल विश्वविद्यालयों में पहुंचाने की रस्म अदायगी को पहुंचाया जाता है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश के करीब 248 अंगीभूत काॅलेजों में करीब तीन लाख से अधिक बच्चे नामांकन पाते हैं.
सिर्फ पीयू ने किया आदेश का पालन : गौरतलब है कि पीयू ने सर्कुलर जारी हाेने के एक साल के भीतर उसका न केवल पालन किया था बल्कि उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों के 115 पद भी सरेंडर कर दिये थे.
शेष विश्वविद्यालय अभी भी इंटर के विद्यार्थियों को शासन के नियमों के विपरीत पढ़ा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि काॅलेज इंटर की कक्षाओं को अलग भी नहीं करना चाहते हैं. क्योंकि, बच्चों से उन काॅलेजों/विश्वविद्यालयों को अच्छा खासा पैसा मिलता है. ये पैसा डेवलपमेंट और ट्यूृशन फीस के रूप में हासिल होता है. दरअसल वर्ष 2006 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने यह कहकर आदेश जारी करवाया था कि डिग्री कालेजों से इंटर को अलग करने से पढ़ाई की गुणवत्ता सुधरेगी. क्योंकि, उनकी पढ़ाई के प्रति प्रतिबद्ध टीचर होंगे. उसे नियंत्रित करने वाली एजेंसी भी अलग होगी. इससे उनमें समन्वय करने में आसानी होगी.
बच्चों को इसका फायदा मिलता है
हालांकि ऐसे भी लोग हैं जो कहते हैं कि काॅलेज और इंटर की पढ़ाई साथ-साथ होनी चाहिए. क्योंकि, इंटर में ही बच्चों को उच्च शिक्षा का अनुभव होता है. फिलहाल 14 साल पुराना ये आदेश खटाई में है. पटना विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के अध्यक्ष रणधीर सिंह ने बताया कि पीयू के अलावा सभी विश्वविद्यालयों ने शासन के आदेश का पालन न करते हुए इंटर की पढ़ाई जारी रखी है. हालांकि, मेरी राय यह है कि इसमें कोई हर्ज नहीं है. क्योंकि, बच्चों को इसका फायदा मिलता है.