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प्रभात खबर से विशेष बातचीत में रामविलास पासवान ने कहा, चुनाव एकतरफा है, बनेगी मोदी सरकार, जीतेंगे 35 से अधिक सीटें

लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान करीब पचास साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे, पर हाजीपुर से उनका लगाव आज भी उतना ही है जितना पहली बार 1977 के चुनाव में था. उनका दावा है कि इस चुनाव में बिहार में एनडीए 35 से अधिक सीटें जीतेगा. पटना में उनसे […]

लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान करीब पचास साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे, पर हाजीपुर से उनका लगाव आज भी उतना ही है जितना पहली बार 1977 के चुनाव में था. उनका दावा है कि इस चुनाव में बिहार में एनडीए 35 से अधिक सीटें जीतेगा. पटना में उनसे बातचीत की मिथिलेश ने. पेश है बातचीत के अंश पांच चरणों के चुनाव हो गये, एनडीए का भविष्य कैसा दिखता है.
देखिए, एकतरफा लहर है. मीडिया भले ही कांटे की टक्कर मानता हो, पर लड़ाई कहीं नहीं है. विपक्ष मुकाबले में ही नहीं है. महागठबंधन में बिखराव साफ दिख रहा है. जबकि, एनडीए पूरी तरह इंटैक्ट है. हम सभी चालीस सीटें जीतने की स्थिति में हैं. 35 से अधिक सीटें मिलेंगी.
इस चुनाव में मुद्दा क्या रहा?
लोगों के पास और खासकर विपक्ष के पास माइनस में कहने के लिए कुछ नहीं है. सामाजिक न्याय के तहत सवर्ण आरक्षण का लाभ दिया गया. हर व्यक्ति को मकान, हर घर बिजली व शौचालय, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, आयुष्मान भारत योजना का लाभ, यह सब ऐसी चीजें हैं, जिसका लाभ देश के हर तबके को मिल रहा है. पहली बार लोगों में राष्ट्रवाद की भावना भी है. बिहार में जातिगत राजनीति हावी होती रही है, एनडीए इसमें कहां टिक रहा.
इस बार दलित-महादलित का बिखराव नहीं है. पिछड़ा-अति पिछड़ा अलग नहीं है. लालू प्रसाद जेल में बंद हैं. उन्होंने जिसे आगे किया है, उन दोनों भाइयों की लड़ाई जगजाहिर है. यादव अग्रेसिव, आक्रामक नहीं हैं. तेजप्रताप साफगोइ से बात रख रहे हैं, पर कोई सुन नहीं रहा. यादव बिरादरी में भी जो प्रोग्रेसिव लोग हैं, वे एनडीए के साथ हैं. उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने का कोई असर नहीं है.
आप कह रहे विपक्ष बिखराव पर है और एनडीए एकजुट है?
राजद की बात कोई सुन नहीं रहा. लालू प्रसाद ने हमेशा से डिच किया. हम बहुत दिनों तक साथ रहे. राजद जिसकेसाथ रहा, खिलाफ ही किया. यहां पूरा कैडर इंटैक्ट है. राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया, इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है. इसका लाभ एनडीए को मिल रहा. एनडीए ने जहानाबाद से चंद्रवंशी समाज के नेता को उम्मीदवार बनाया, इसका अच्छा संवाद गया.
लोजपा का परफाॅर्मेंस इस बार कैसा होगा?
हम छह की छह सीटें जीतेंगे. पिछली बार मोदी लहर में भी सात में छह सीटों पर लोजपा ने जीत हासिल की थी. खगड़िया में हमने अल्पसंख्यक उम्मीदवार दिया. भाजपा के कैडर ने भी एकजुट होकर मतदान किया.
लोग कहते थे, 2014 में जदयू को दो सीटें आयी थीं, इस बार अधिक सीटें नहीं मिलेंगी. पर, देखिए 17-17 सीटों का बराबारी का समझौता हुआ. हमारे साथ थोड़ी देर हुई. चिराग ने एक बार पहल की. तत्काल समझौता हुआ.
चुनाव के पहले राष्ट्रीय स्तर पर दलित वोटरों में नाराजगी दिख रही थी?
दलित एक्ट को लेकर कुछ नाराजगी थी. पर हमलोगों ने पहल की. प्रधानमंत्री ने पहल की. सबकुछ पटरी पर आ गयी. इसी प्रकार दो सौ प्वाइंट का मामला था. केंद्र ने पहल की. कहीं कोई नाराजगी नहीं है.
हाजीपुर को कितना मिस कर रहे हैं आप?
लोकनायक जय प्रकाश नारायण की पहल पर मुझे हाजीपुर का उम्मीदवार 1977 में बनाया गया. पहले जेपी ने मुझे कहा था, पर किसी कारणवश रामसुंदर दास को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. जेपी को जब यह पता चला, तो वह नाराज हुए. उन्होंन कागज पर लिख कर दिया कि हाजीपुर में जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है.
मैं नहीं जानता. मेरा उम्मीदवार रामविलास पासवान है. जेपी ने पैसे भी दिये और नामांकन करने को कहा. मुझे नाव छाप का सिंबल भी मिल गया. राजनारायण जी को यह बात मालूम हुई तो उन्होंने हंगामा किया, तब मुझे हलधर किसान का सिंबल मिला. हाजीपुर से मेरा लगाव बना रहेगा. यह भावनात्मक है. 1991 में लालू प्रसाद के विरोध के कारण मैंने रोसड़ा से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
राजनीति की नयी पौध में चिराग पासवान को आप कहां देखते हैं?
देखिए, राजनीति में जो भी युवा आये, यह ठीक है कि वंशवाद है, लेकिन इनमें सबसे बेहतर और मेरिट वाला नेता चिराग पासवान ही है. हाजीपुर से चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया. चिराग का कहना था, जहां मैंने काम किया, वहीं से लड़ेंगे. जबकि, जमुई में पासवान जाति का कोई बड़ा आधार वोट भी नहीं है.
सक्रिय राजनीति में अब रामविलास पासवान का भविष्य क्या है?
मैं सरकार या किसी क्षेत्र के दवाब से बाहर रहूंगा. सामाजिक न्याय का क्षेत्र हो या दलित सेना का, हम सक्रिय रहेंगे. जहांतक पार्टी की बात है, तो चिराग पासवान मेरे उत्तराधिकारी हैं. सरकार में भागीदारी भी उनकी होगी. अभी उप राष्ट्रपति या राष्ट्रपति पद के बारे में न तो कोई प्रस्ताव है और न ही मैंने इस बरे में कभी सोचा है.

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