पटना : वोटरों को बाइपास कर देते हैं नेताजी

पटना : वोट लेने के लिए क्षेत्र में दौड़ लगाते हैं. विधानसभा हो या लोकसभा, प्रत्याशियों की दौड़ चुनाव के दौरान नहीं थकती. नेताजी एक-एक गली से लेकर हर मुहल्ला का पैदल नाप दे रहे हैं. मगर, जब बात विकास की अाती है तो जीतने के बाद दोबारा क्षेत्र में नहीं दिखते. जी, हां हम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2019 8:43 AM
पटना : वोट लेने के लिए क्षेत्र में दौड़ लगाते हैं. विधानसभा हो या लोकसभा, प्रत्याशियों की दौड़ चुनाव के दौरान नहीं थकती. नेताजी एक-एक गली से लेकर हर मुहल्ला का पैदल नाप दे रहे हैं. मगर, जब बात विकास की अाती है तो जीतने के बाद दोबारा क्षेत्र में नहीं दिखते. जी, हां हम बात रहे हैं कि राजधानी के दक्षिण बाइपास से सटे दर्जनों मुहल्लों की.
जो राजधानी में होने और सटे होने के बावजूद उन इलाकों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिसे बीते कई चुनाव से नेताजी वोट लेकर जनता के विकास को बाइपास कर दे रहे हैं. लगभग दो लाख से अधिक आबादी होने के बावजूद इन क्षेत्रों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. सरकारी पाइप लाइन का विस्तार नहीं हुआ है.
बाइपास के दक्षिण पाटलिपुत्र व पटना साहिब दोनों लोकसभा का क्षेत्र आता है. इस क्षेत्र के लोग पाटलिपुत्र के फुलवारी विधानसभा व पटना साहिब के फतुहां विधानसभा के वोटर हैं. फुलवारी विधानसभा में बेऊर, सिपारा, दशरथा, ढेलवां, पूर्वी रामकृष्णा नगर, सोरंगपुर, जगनपुर, घाना कॉलोनी, एनटीपीसी, मधुवन कॉलोनी, मदर टेरसा पथ. इसके अलावा पटनासाहिब के फतुहां विधानसभा में खेमनी चक, नंदलाल छपरा, छोटी व बड़ी पहाड़ी का क्षेत्र आता है.
जातीय समीकरण में फिट बैठता है क्षेत्र : इस क्षेत्र की खास बात है कि यहां दो तरह के लोगों का निवास है. एक तो इस क्षेत्र में कई गांव हैं. जो एक-दो जातीय वर्ग के बाहुल्य जनसंख्या के कारण किसी ना किसीपार्टी के खास वोटर मानें जाते हैं. दूसरी जनसंख्या वैसी है जो कहीं से आकर बसी है, जिसमें हर वर्ग विशेष के लोग हैं. राजनीतिक रूप से क्षेत्र काफी सक्रिय है.

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