पटना साहिब लोकसभा सीट : रविशंकर और शत्रुघ्न के मुकाबले में कसौटी पर लालू-मोदी फैक्टर की साख

पटना : बिहार में कई मायनों में अति प्रतिष्ठित पटना साहिब लोकसभा सीट का चुनाव इस बार भी राज्य ही नहीं पूरे देश की उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है. यहां के दोनों कद्दावर प्रत्याशी आरजेडी के शत्रुघ्न सिन्हा और बीजेपी के रविशंकर प्रसाद भले ही एक ही जाति से आते हैं, किंतु स्थानीय मतदाताओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2019 3:43 PM
an image

पटना : बिहार में कई मायनों में अति प्रतिष्ठित पटना साहिब लोकसभा सीट का चुनाव इस बार भी राज्य ही नहीं पूरे देश की उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है. यहां के दोनों कद्दावर प्रत्याशी आरजेडी के शत्रुघ्न सिन्हा और बीजेपी के रविशंकर प्रसाद भले ही एक ही जाति से आते हैं, किंतु स्थानीय मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग इसे एक ऐसे चुनाव के रूप में ले रहे हैं, जिस पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद का प्रभाव एवं मोदी फैक्टर की साख कसौटी पर है.

पटना साहिब में चाय की दुकान चलानेवाले संतोष यादव का कहना है कि ‘चुनाव में तो ऐसा है कि वोट पड़ने के बाद ही कुछ कह सकते हैं, लेकिन इस सीट पर फूल (बीजेपी) मजबूत है. वैसे भी लालू जी बिहार के नेता हैं और मोदी जी देश के.’ यह टिप्पणी सिर्फ संतोष यादव की ही नहीं है, बल्कि बांकीपुर, कुम्भरार से लेकर पटना साहिब तक एक बड़े वर्ग की यही राय है. बांकीपुर में लाई-मूड़ी-भूंजा का ठेला लगानेवाले रामोतार पासवान कहते हैं कि कौन चुनाव लड़ रहा है, इससे मतलब नहीं है. बीजेपी माने तो मोदीजी ही है ना. उन्होंने कहा कि लालू जी भी काम किये, अब उनके लड़कन (लड़के) लोग हैं. देखिये कौन जीतता है. इस सीट पर वर्तमान सांसद एवं कांग्रेस प्रत्याशी सिनेस्टार शत्रुघ्न सिन्हा का मुकाबला केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद से है.

पटना साहिब सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में एक हैं, जहां कायस्थ मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. बीजेपी ने इस सीट पर पार्टी से असंतुष्ट रहनेवाले शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट इस बार काट दिया और उन्हीं की जाति से संबंध रखनेवाले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया है. इसके बाद सिन्हा बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं. पटना साहिब पर सिन्हा को महागठबंधन का समर्थन हासिल है, जिसमें लालू प्रसाद की अगुवाई वाला आरजेडी भी शामिल है. पटना साहिब सीट का गठन वर्ष 2008 में नये परिसीमन के तहत हुआ था. इसके बाद से यहां पर दो लोकसभा चुनाव हुए हैं. दोनों ही बार बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा सांसद चुने गये.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पटना साहिब सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा रहा है. लगभग पांच लाख से ज्यादा कायस्थों के अलावा यहां यादव और राजपूत मतदाताओं की भी खासी संख्या है. सामान्य तौर पर यहां के कायस्थ वोटरों का झुकाव भाजपा की तरफ माना जाता है. इस बार चुनाव मैदान में दोनों ही तरफ बड़े कायस्थ चेहरे खड़े होने की वजह से वोट बंटने के कयास लगाये जा रहे हैं. जेडीयू के साथ होने की वजह से रविशंकर प्रसाद को कुर्मी और अतिपिछड़ा वोटों का भी लाभ हो सकता है. कुम्हरार के नवीन सिन्हा का कहना है कि अगर रविशंकर प्रसाद अब तक दिल्ली की राजनीति करते रहे हैं, तो शत्रुघ्न सिन्हा भी पटना में चुनाव के वक्त ही दिखाई देते हैं.

गौरतलब है कि रविशंकर प्रसाद के पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए उनका एजेंडा स्पष्ट है. यहां सड़कों को लगातार दुरूस्त किया जा रहा है. इसके अलावा पटना मेट्रो की आधारशिला रखी जा चुकी है और इसका विस्तार किया जायेगा. पटना को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की पहल की जा रही है, जिसमें बीपीओ और स्टार्टअप भी हैं. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भाजपा में उन्होंने लोकशाही को धीरे-धीरे तानाशाही में परिवर्तित होते देखा है. ‘इस बार लोग बदलाव को तैयार हैं, अगर कोई मुगालते में है, तो उसे रहने दें.’ पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं. इन विधानसभा सीटों में बख्तियारपुर, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, दीघा और फतुहा सीटें शामिल हैं। इनमें पांच सीटें भाजपा के पास है. सिर्फ फतुहा सीट आरजेडी के पास है. 2008 में परिसीमन से पहले पटना सीट पर 1952 से 1962 तक कांग्रेस तथा 1967 एवं 1971, 1980 में सीपीआई ने जीत दर्ज की. 1977 में जनता दल, 1984 में कांग्रेस जीती. 1989 में पहली बार भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की. 1991 एवं 1996 में जनता दल तथा 1998 एवं 1999 में यह सीट भाजपा की झोली में गयी. 2004 में यह सीट आरजेडी के खाते में गयी.

Next Article

Exit mobile version