पटना :एम्स, आइआइटी बने, पर नहीं हुआ व्यवस्थित कॉलोनियों का निर्माण
ग्रेटर पटना के क्षेत्रफल का विस्तार, लेकिन सीवरेज, ड्रेनेज व अन्य जरूरी संसाधनों का नहीं हो रहा विकास पटना : राजधानी के विकास व फैलाव के लिए बड़े-बड़े प्लानों की घोषणा होती रही है. मास्टर प्लान से लेकर ग्रेटर पटना बसाने के लिए दानापुर, फुलवारी व बिहटा तक क्षेत्रों को राजधानी में ही समेट लिया […]
ग्रेटर पटना के क्षेत्रफल का विस्तार, लेकिन सीवरेज, ड्रेनेज व अन्य जरूरी संसाधनों का नहीं हो रहा विकास
पटना : राजधानी के विकास व फैलाव के लिए बड़े-बड़े प्लानों की घोषणा होती रही है. मास्टर प्लान से लेकर ग्रेटर पटना बसाने के लिए दानापुर, फुलवारी व बिहटा तक क्षेत्रों को राजधानी में ही समेट लिया गया है. वहीं, बिहटा सहित आसपास केक्षेत्रों में कई बड़े शिक्षण संस्थान, एयरपोर्ट व अन्य कई सरकारी निर्माणों के लिए जमीन तक चिह्नित कर दी गयी है. कई निर्माण पूरे हो चुके हैं. मगर तमाम इन कामों के आम आदमी अभी भी शहर को छोड़ कर उस तरफ अपने निजी निर्माण करने या बसने नहीं जा रहा है.
कारण है कि आम आदमी की बसावट के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं पर किसी का ध्यान नहीं है. पाटलिपुत्र क्षेत्र से जीते सांसद महोदय का इस पर ध्यान नहीं जाता कि वहां सड़क, पीने के पानी, सीवरेज, ड्रेनेज से लेकर सुरक्षा व अन्य जरूरतों को पूरा करें. ताकि, आमलोग राजधानी को छोड़ कर उस तरफ भी जाकर बसें. चुनाव में नेताओं के लिए भी यह कोई मुद्दा नहीं बन रहा.
कई संस्थान खुले
बिहटा व आसपास के क्षेत्रों में कई संस्थान खुल चुके हैं. खासकर शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए काम चल रहा है. बिहटा में आइआइटी, एनआइएलइटी, एफडीडीटी जैसे संस्थान खुल चुके हैं.
जबकि डीएमआइ व एनआइटी का कैंपस वहीं खोला जाना है. बिहटा में एयरपोर्ट निर्माण का काम चल रहा है. जमीन अधिग्रहण पूरे हो चुके हैं. इसके अलावा वहां इएसआइ का अस्पताल है. इसके अलावा एनडीआरएफ का कार्यालय है. कई प्राइवेट संस्थान खुल रहे हैं. बावजूद इसके रहने के लिए अन्य जरूरी विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
…मगर बस नहीं रहे लोग
ऐसा नहीं कि शहर की भीड़ को छोड़ कर वहां लोग बसना नहीं चाहते. इसके लिए लोगों ने मकान, अपार्टमेंट बनाने के लिए जमीनें भी खरीद लीं है.
वर्षों से जमीन खरीद-बेच का काम चल रहा है. मगर लोग तेजी से बसने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. लोगों को इस बात का इंतजार है कि पहले सरकार के तरफ से बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाये. सड़क बनें, पानी निकासी की व्यवस्था हो. खास कर सुरक्षा का बेहतर प्रबंध हो. तब जाकर उधर बसने का प्रयास किया जाये