दारोगा-डीएसपी साइबर अपराध से करेंगे मुकाबला, फरियादियों के लिए बनेंगे मित्र
पटना : बिहार पुलिस फरियादियों के साथ मित्र की तरह पेश आये, मानव व्यापार से लेकर साइबर अपराध को रोकने में पारंगत हो जाये, प्राकृतिक आपदा अाये तो आपदा प्रबंधन भी कर ले, इन तीनों कॉसेप्ट पर पुलिस खरी उतरे इसके लिए डीएसपी और दारोगा की ट्रेनिंग में कई एडवांस कोर्स शामिल किये जा रहे […]
पटना : बिहार पुलिस फरियादियों के साथ मित्र की तरह पेश आये, मानव व्यापार से लेकर साइबर अपराध को रोकने में पारंगत हो जाये, प्राकृतिक आपदा अाये तो आपदा प्रबंधन भी कर ले, इन तीनों कॉसेप्ट पर पुलिस खरी उतरे इसके लिए डीएसपी और दारोगा की ट्रेनिंग में कई एडवांस कोर्स शामिल किये जा रहे हैं. उनको नये तरीकों वाले अपराध रोकने से लेकर फरियादियों के साथ मित्र की तरह पेश आने के तौर-तरीके सिखाये जा रहे हैं.
डीजी ट्रेनिंग आलोक राज बताते हैं कि पुलिस अकादमी राजगीर में डीएसपी और पुलिस अवर निरीक्षक को ट्रेनिंग दी जा रही है. आम जन में पुलिस की निरंकुशता की जो छवि है वह बदलना बड़ी चुनौती है.
आइटी एक्ट आदि नये-नये कानून पारित हो चुके हैं. मानव व्यापार , साइबर अपराध के तरीके बदले हैं. नये अफसरों को आने वाले समय के हिसाब से ट्रेनिंग मिले इसके लिए नये विषयों को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा जा रहा है.
नेशनल पुलिस अकादमी, विख्यात संस्थानों के एक्सपर्ट से ट्रेंड कराने को सेमिनार करा रहे हैं. डीजी का कहना था कि महिला पुलिस कर्मियों की संख्या अधिक होने के कारण जेंडर संवेदीकरण जैसे विषय को ट्रेनिंग में शामिल कर कार्यशाला आयोजित करायी जा रही है.
मित्र की तरह पुिलस पेश आ रही, सनहा फिर भी दर्ज नहीं हो रहा : पुलिस को पीपुल फ्रेंडली बनाने के लिए आला अधिकारियों की चिंताएं यूं ही नहीं है. नीतीश सरकार में इस दिशा में बहुत काम हुआ है फिर भी हालात बहुत संतोषजनक नहीं है. थानों में फरियादियों के साथ पुलिस कैसे पेश आती है, इसकी रियलटी चेक की तो अनुभव खट्टा-मीठा रहा.
आम जन में पुलिस की छवि बदलने की कोशिश
केस एक : सचिवालय थाना. दोपहर करीब एक बजे एक युवक बीस मिनट से खड़ा है. कोई संतरी नहीं हैं. अंदर खाकी वर्दी में बुजुर्ग जवान जय सिंह टहल रहे हैं. मुंशी पंकज कुमार दारोगा विजय कुमार कंप्यूटर पर बिजी हैं. वह युवक पर निगाह तो डाल रहे हैं, लेकिन न कुछ कहते हैं और नहीं सुनते हैं. काफी देर तक कोई सुनवाई नहीं होती तो युवक गुहार लगाता है, पंकज कई सवाल दागते हैं इसके बाद कहते हैं
कागज ऑरजीनल थे, युवक के मुंह से जैसे ही हां निकलता है, पंकज शपथपत्र के साथ ही आवेदन लाने की कहकर जाने का आदेश दे देते हैं. युवक पानी की मांग करता है. जय सिंह गेट के बाहर टंकी की तरफ इशारा कर देते हैं. यह उस थाना का चेहरा था जिसके सामने विधान मंडल स्थित है. एसडीपीओ सचिवालय भी यहीं बैठते हैं.
केस दो : आधार-पैन कार्ड खोने का सनहा दर्ज कराने को युवक एसके पुरी थाने पहुंचा तो वहां कुछ वर्दी में कुछ बिना वर्दी में पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी दे रहे थे. इंस्पेक्टर अंगेश कुमार राय ने मित्रभाव से समस्या पूछी.
लिखने को पेपर भी दिया. कागज खराब हो जाने पर दूसरा पेपर नहीं मिलता. बाहर से कागज लाना पड़ा. युवक कागज खरीदकर आवेदन लिख देता है.
दारोगा अंशु प्रिया शिक्षक की तरह समझाकर आवेदन की कमियां दूर करवाती हैं. आवेदन को फाइल में रखकर दो दिन बाद सनहा की प्रति लेने की जानकारी देती हैं.
इसी बीच दूसरा पुलिस कर्मी आवेदन के साथ फरियादी की आइडी की प्रति नहीं होने की तकनीकी कमी बताता है. इसके बाद आइडी की काॅपी लाने को कहा जाता है. युवक थाने से निकलता है तो अंशु प्रिया यह कहते हुए आवेदन वापस करती हैं कि इसमें संलग्न कर लाना. कोई दिक्कत नहीं होगी सनहा दर्ज हो जायेगा. वहां सफाई, गर्मी से बचने के साधन , पीने का पानी, टाॅयलेट आदि के इंतजाम ठीक नहीं दिखे