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महागठबंधन के वंशवाद पर भारी पड़ा एनडीए का वंशवाद, दो दोनों बेटियां हारीं, बहू जीती, मिला-जुला रहा जनता का मूड

पटना : बिहार की राजनीति में वंशवाद को लेकर लोकसभा चुनाव में जनता का मूड मिला-जुला रहा. वंशवाद कोटे से उम्मीदवार बने एनडीए नेताओं को तो वोटरों ने स्वीकारा, लेकिन महागठबंधन को स्वीकार नहीं किया. राज्य की 40 लोकसभा सीटों में 26 सीटें ऐसी थी, जो वंशवाद की भेंट चढ़ी थी. इन सीटों दोनों दावेदार […]

पटना : बिहार की राजनीति में वंशवाद को लेकर लोकसभा चुनाव में जनता का मूड मिला-जुला रहा. वंशवाद कोटे से उम्मीदवार बने एनडीए नेताओं को तो वोटरों ने स्वीकारा, लेकिन महागठबंधन को स्वीकार नहीं किया. राज्य की 40 लोकसभा सीटों में 26 सीटें ऐसी थी, जो वंशवाद की भेंट चढ़ी थी. इन सीटों दोनों दावेदार गठबंधनों ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनके सगे संबंधी पहले से ही राजनीति में चर्चित रहे हैं.

कांग्रेस ने वाल्मीकीनगर ने पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडे के पोते शाश्वत केदार को प्रत्याशी बनाया था. उनके पिता डॉ मनोज पांडे भी सांसद रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव में 15 नेता पुत्र चुनाव मैदान में थे. इसमें सबसे बड़ा नाम केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का था, भाजपा ने पटना साहिब से उम्मीदवार बनाया था. वे मैदान जीतने में सफल रहे. लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय सारण से राजद के उम्मीदवार थे, इनके पिता दारोगा प्रसाद राय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वे चुनाव हार गये. जमुई से लोजपा प्रत्याशी चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे हैं. वे जीतने में सफल रहे. मधुबनी से भाजपा प्रत्याशी डॉ अशोक कुमार यादव पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुमदेव नारायम यादव के बेटे हैं. ये भी चुनाव जीतने में सफल रहे. समस्तीपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ अशोक राम के पिता बालेश्वर राम नेहरू मंत्रिमंडल के सदस्य रहे थे. वे चुनाव हार गये. खगड़िया से लोजपा के प्रत्याशी महबूब अली कैसर कांग्रेस के बड़े नेता व पूर्व मंत्री चौधरी सलाउद्दीन के पुत्र हैं. वे चुनाव जीत गये. गया से जदयू प्रत्याशी विजय मांझी पूर्व सांसद भगवतिया देवी के बेटे हैं. वे भी चुनाव जीत गये. मुजफ्फरपुर से भाजपा उम्मीदवार अजय निषाद पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जय नारायण निषाद के पुत्र हैं. वे भी जीतने में सफल रहें. मोतिहारी से रालोसपा उम्मीदवार आकाश सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह के पुत्र हैं. वे हार गये. सीतामढ़ी से जदयू उम्मीदवार सुनील कुमार पिंटू के पिता भाजपा विधायक थे. पिंटू चुनाव जीत गये. महाराजगंज से राजद प्रत्याशी रणधीर सिंह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र हैं. वे चुनाव हार गये. बेतिया से भाजपा प्रत्याशी संजय जायसवाल पूर्व सांसद डॉ मदन जायसवाल के बेटे हैं. उन्होंन जीत की हैट्रिक लगायी. पूर्णिया से कांग्रेस प्रत्याशी उदय सिंह पूर्व सांसद माधुरी सिंह के बेटे हैं. वे चुनाव हार गये. अररिया से राजद प्रत्याशी सरफराज पूर्व मंत्री तस्लीमउद्दीन के पुत्र हैं. वे चुनाव हार गये.

दोनों बेटी हारी, बहू जीती

चुनाव मैदान में दो बेटी और एक बहु भी थी. सासाराम से कांग्रेस प्रत्याशी मीरा कुमार पू्र्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. पाटलिपुत्र से राजद प्रत्याशी मीसा भारती लालू प्रसाद की बेटी हैं, दोनों चुनाव हार गयीं. सीवान से जदयू प्रत्याशी कविता सिंह पूर्व विधायक जगमातो देवी की बहु हैं. वे चुनाव जीत गयीं. इनके अलावा नवादा से लोजपा प्रत्याशी चंदन कुमार, जो पूर्व सांसद सूरजभान के भाई हैं, चुनाव जीत गये. हाजीपुर से लोजपा प्रत्याशी पशुपति कुमार पारस और समस्तीपर से लोजपा प्रत्याशाी रामचंद्र पासवान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भाई हैं. दोनों चुनाव जीत गये. इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी बांका से सुपौल से कांग्रेस उम्मीदवार रंजीत रंजन जो पप्पू यादव की पत्नी हैं, वो चुनाव हार गयी. सीवान से राजद प्रत्याशी व पूर्व सांसद शाहबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब चुनाव हार गयीं. मुंगेर से कांग्रेस प्रत्याशी नीलम देवी विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं. नवादा से राजद उम्मीदवार विभा देवी पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव की पत्नी हैं. दोनों चुनाव हार गयीं. शिवहर से भाजपा उम्मीदवार रमा देवी पूर्व मंत्री वृजबिहारी प्रसाद की पत्नी है. वे जीतने में सफल रही.

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