हार से जू्झ रहे राजद नेता कल खोलेंगे अपना मुंह
पटना : लोकसभा चुनाव में राजद को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सदमे में हैं. हार की छटपटाहट तो है, लेकिन नेता मुंह खोलने से बच रहे हैं. 28 और 29 मई को पार्टी ने हार की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी है. बैठक में पार्टी नेता अपना […]
पटना : लोकसभा चुनाव में राजद को मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सदमे में हैं. हार की छटपटाहट तो है, लेकिन नेता मुंह खोलने से बच रहे हैं. 28 और 29 मई को पार्टी ने हार की समीक्षा के लिए बैठक बुलायी है. बैठक में पार्टी नेता अपना मुंह खोलेंगे. महागठबंधन का साथ, लालू परिवार में खींचतान, खराब चुनाव प्रबंधन और उम्मीदवारों के चयन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी.
पार्टी के बड़े-बड़े नेता चुनाव हार गये हैं. नेताओं के निशाने पर पार्टी के प्रवक्ता भी हैं, जो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के खास सलाहकार बने हुए हैं. पार्टी नेता सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर उधेड़बुन में हैं.
पार्टी गठन के बाद यह पहला मौका है, जब लोकसभा में उसका प्रतिनिधित्व नहीं है. अगले साल विधानसभा चुनाव होना है, इसलिए पार्टी की चिंता और बढ़ गयी है. राजद को सिर्फ नौ विधानसभा सीटों पर ही बढ़त मिली है. चुनाव लड़ने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकी, गुलाब यादव और शिवंचद्र राम अपने विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गये.
तेजस्वी यादव की विधानसभा सीट राघोपुर में पार्टी को महज 242 वोट की बढ़त मिली है. तेजप्रताप यादव की विधानसभा सीट महुआ में पार्टी 36116 वोट से पीछे रही. विधायक भाई वीरेंद्र के विधानसभा क्षेत्र मनेर से पार्टी को 7929 वोट की बढ़त मिली. राजद उम्मीदवार जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, अररिया, जोकीहाट, मसौढ़ी और पालीगंज में आगे रहे. हार के बाद दबी जवान से ही सही तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठने लगा है.
क्या बोले पार्टी के दिग्गज
दरभंगा से पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दीकी कहते हैं कि मीडिया को नहीं पार्टी फोरम पर अपनी बात रखेंगे. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं कि पार्टी ने हार को गंभीरता से लिया है. पार्टी अपनी गलतियों को सुधारेगी. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व वैशाली से प्रत्याशी रहे डाॅ रघुवंश प्रसाद सिंह का मानना है कि सवर्ण आरक्षण के विरोध से भी पार्टी को नुकसान हुआ है. उन्होंने हार पर कहा कि नरेंद्र मोदी का अतुलनीय प्रचार और धनबल के प्रयोग के लिए हमलोग तैयार नहीं थे. महागठबंधन का कोई प्रतिफल नहीं निकला, इसलिए सभी को एक दल में शामिल हो जाना चाहिए.