मसौढ़ी : अनुमंडल मुख्यालय का हृदय कहे जाने वाला नगर का श्रीमती गिरिजा कुंवर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का क्रीड़ा मैदान, जिसे लोग गांधी मैदान के नाम से जानते हैं. उसी क्रीड़ा मैदान के एक छोटे से हिस्से में वर्ष 2015-16 में नगर पर्षद ने करीब 22 लाख की लागत से पार्क का निर्माण कराया था. पार्क निर्माण कराने के पीछे नगर पर्षद का उद्देश्य था कि यहां बच्चे व नौजवानों के अलावा वृद्ध इस पार्क का आनंद उठा पायेंगे, लेकिन पार्क का उचित रखरखाव नहीं होने से उक्त पार्क की वर्तमान स्थिति ऐसी हो गयी है कि बच्चे वहां क्रिकेट खेलते नजर आ जायेंगे, पर लोग नहीं मिलेंगे.
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उचित रखरखाव का अभाव, बदहाल गांधी मैदान का पार्क
मसौढ़ी : अनुमंडल मुख्यालय का हृदय कहे जाने वाला नगर का श्रीमती गिरिजा कुंवर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का क्रीड़ा मैदान, जिसे लोग गांधी मैदान के नाम से जानते हैं. उसी क्रीड़ा मैदान के एक छोटे से हिस्से में वर्ष 2015-16 में नगर पर्षद ने करीब 22 लाख की लागत से पार्क का निर्माण कराया था. […]
पार्क में बना दो शेड, बच्चों के खेलने के लिए लगा झूला व बैठने के लिये बना सीमेंटेट बेंच अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. निर्माण के समय लगा जंगली पेड़ ही कुछ बचा है. पार्क में हरियाली की जगह गंदगी ने अपना पैर पसार लिया है, यहां तक कि आसपास के घरों के लोग अपने घरों का कचरा भी पार्क में ही फेंक देते हैं.
विद्यालय प्रशासन व नगर पर्षद की उदासीनता के चलते नगर का एकमात्र पार्क अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया. पार्क के विकसित नहीं होने से शहरवासियों को सुकुन की जगह नहीं मिल पाती है. इधर, गिरजा कुंवर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य हारुण रसीद ने बताया कि पार्क के रखरखाव का जिम्मा नगर पर्षद का है. वहीं, नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी किशोर कुणाल का कहना था कि मेरे संज्ञान में नहीं है उक्त पार्क.
क्रीड़ा मैदान में बना पार्क काफी जद्दोजहद के बाद बना था. नगर पर्षद नागरिक सुविधा की मद से उक्त पार्क का जब निर्माण शुरू कराया था तो तत्कालीन प्राचार्य सत्येंद्र कुमार आर्य ने पार्क के निर्माण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि विद्यालय की भूमि पर बिना विद्यालय व शिक्षा विभाग की अनुमति के यहां कोई निर्माण नहीं होगा, लेकिन बाद में राजनीतिककारणों से प्राचार्य को पीछे हटना पड़ा. लेकिन पार्क के नाम पर केवल चहारदीवारी दे कुछ बेंच व झूला लगा नगर पर्षद अपना दायित्व वहीं खत्म कर दिया.
क्या कहना है लोगों का
क्रीड़ा मैदान में पार्क बनना ही नहीं चाहिए था, पार्क के निर्माण से मैदान छोटा पड़ गया वहीं टहलने व खेलने वाले को परेशानी होनी शुरू हो गयी.
राजमनक सिंह
पार्क में जिंदगी से कुछ समय निकाल पार्क में आकर सुकुन महसूस करेंगे, लेकिन रखरखाव न होने से पार्क बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
कमला प्रसाद सिंह, सतीस्थान
घनी आबादी में पार्क का निर्माण कराना कहीं से भी उचित नहीं था. लोग तो पार्क में जाने से कतराते हैं, वहीं असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है.
विनय सिंह, सतीस्थान
पार्क की बदहाल स्थिति को ध्यान में रखते हुए नगर पर्षद इस पर ध्यान दे,और पुनः इसे पार्क के स्वरूप देने का प्रयास करे.
मंजू कुमारी, रजिस्ट्री आॅफिस रोड
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