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रविशंकर : इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

नयी दिल्ली : अपने प्रखर कानूनी ज्ञान एवं तर्कपूर्ण संवाद के जरिये राजनीति में अपनी विशिष्ट स्थान बनाने वाले रविशंकर प्रसाद नरेंद्र मोदी सरकार ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में बिहार की पटना साहिब संसदीय सीट पर 61.8 फीसदी मत हासिल […]

नयी दिल्ली : अपने प्रखर कानूनी ज्ञान एवं तर्कपूर्ण संवाद के जरिये राजनीति में अपनी विशिष्ट स्थान बनाने वाले रविशंकर प्रसाद नरेंद्र मोदी सरकार ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में बिहार की पटना साहिब संसदीय सीट पर 61.8 फीसदी मत हासिल कर भाजपा की विजय पताका फहराने वाले रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 26 मई 2014 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में नियुक्त होने के बाद से भारत के दूरसंचार क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई.

जनवरी 2003 में उन्हें तत्कालीन राजग सरकार में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पद पर रहते हुए भारत में केबल टेलीविजन संबंधी सुधारों के साथ साथ देश में डिजिटल टीवी युग की शुरुआत की. भारत में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेटेलाइट प्रसारण सेवाओं को शुरू करने का श्रेय उन्हें ही जाता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर भारत में एफएम रेडियो सेवाओं को अधिक स्वतंत्रता देने की रविशंकर प्रसाद की ही पहल का नतीजा है कि आज इस क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी का मार्ग खुल गया है. आज एफएम रेडियो भारत में एक संपन्न उद्योग है.

गोवा को अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का स्थायी आयोजन स्थल बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. रविशंकर प्रसाद ने अपने पहले ही लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए बेहद लोकप्रिय अपने प्रतिद्वंद्वी एवं ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब सीट पर 2.84 लाख मतों के अंतर से शिकस्त दे दी. चार बार राज्यसभा सदस्य रहे प्रसाद ने कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे सिन्हा से मतों के बड़े अंतर से पटना साहिब लोकसभा सीट छीनी.

वर्ष 2014 में मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा की सरकार आयी तो प्रसाद को शुरू में पहले संचार तथा इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय दिया गया. बाद में उनसे संचार मंत्रालय ले लिया गया और विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा इलेक्ट्रानिकी मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया. प्रसाद एक उत्साही सोशल मीडिया यूजर भी हैं और टि्वटर पर उनके 32 लाख से अधिक फॉलोअर हैं. उन्होंने फर्जी खबरों, डेटा निजता जैसे मुद्दों पर फेसबुक तथा व्हाट्सअप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया.

विगत में प्रसाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान कोयला एवं खान, विधि एवं न्याय तथा सूचना और प्रसारण मंत्री जैसे पदों पर भी रह चुके हैं. भारत के उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ एवं प्रख्यात वकील प्रसाद वर्ष 22000 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने थे. वित्त, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, पेट्रोलियम एवं रसायन इत्यादि महत्वपूर्ण संसदीय समितियों के सदस्य रहे प्रसाद ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, मुख्य प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभाग के प्रमुख सहित राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कई महत्वपूर्ण संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाई हैं.

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रसाद ने कई हाई प्रोफाइल मुकदमे लड़े हैं. राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ करोड़ों रुपये के चारा घोटाला मामले में प्रसाद मुख्य अधिवक्ता थे. उन्होंने हवाला मामले में भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी की पैरवी की. 2010 में प्रसाद अयोध्या संबंधी मुकदमे में मुख्य अधिवक्ता रहे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश हुए. बिहार में 1954 में जन्मे प्रसाद ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1970 के दशक में एक छात्र नेता के रूप में की थी. उस समय उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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