पटना : आईजीआईएमएस, पटना के परिसर में 500 शय्या वाले अस्पताल भवन के शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को कहा कि पिछले 5 साल में बिहार के स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में 27,500 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. 2018-19 में 7,472 करोड़ खर्च कियेगये वहीं चालू वित्तीय वर्ष में 9,622 करोड़ के बजट प्रावधान किया गया है.
सुशील मोदी ने कहा कि पिछले 13-14 वर्षों में बिहार के स्वास्थ्य मानकों में उल्लेखनीय सुधार का नतीजा है कि प्रति हजार शिशु मृत्यु दर 2005 की 61 की तुलना में घट कर 38 हो गयी है, जबकि असम में यह दर 44, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में 41-41 फीसदी हैं. लड़के और लड़की की मृत्यु दर में भी पहले जहां 15 अंक का अंतर था, वहीं भारत सरकार के एसआरएस की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में घट कर यह मात्र 3 रह गया है. प्रसव पूर्व जांच, 84 प्रतिशत तक टीकाकरण, सभी मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में नवजात शिशु की समुचित देखभाल की व्यवस्था और बाल विवाह निषेद्य के अभियान से यह उपलब्धि हासिल हुई है.
सुशील मोदी ने जन्म दर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार में आज भी 26.4 प्रतिशत जबकि उत्तर प्रदेश में 25.9, ओडिशा में 18.3 और प. बंगाल में 15.2 प्रतिशत है. जनसंख्या नियंत्रण एक चुनौती बनी हुई है. 2001 में बिहार की जनसंख्या 8.28 करोड़ थी जो 2011 में बढ़ कर 10.40 करोड़ हो गयी. अगर इसी दर से वृद्धि हुई तो 2021 तक बिहार की जनसंख्या करीब 13 करोड़ हो जायेगी. लड़कियों की शिक्षा व जन जागरूकता से ही जन्म दर नियंत्रित होगी. उन्होंने कहा, स्वास्थ्य सेवा में सुधार के जरिए सरकार केवल किडनी, कैंसर, हार्ट जैसी बड़ी बीमारियों के इलाज की सुविधा ही नहीं उपलब्ध करा रही है बल्कि अपनी विभिन्न योजनाओं से गरीबों की सेवा भी कर रही है.
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