पटना : मीसा ने लोकसभा चुनाव के पहले 15 करोड़ की योजनाओं की अनुशंसा की, हारने पर किया रद्द
अनिकेत त्रिवेदी अभी राज्यसभा की सदस्य हैं लालू प्रसाद की बड़ी बेटी पटना : यह आम धारणा है कि नेता अवसरवादी होते हैं. चुनाव के समय उनको जनता व क्षेत्र के विकास की याद आती है. फिर चुनाव के बाद वे अपने क्षेत्र को भूल जाते हैं. मगर कुछ सांसद तो हद ही पार कर […]
अनिकेत त्रिवेदी
अभी राज्यसभा की सदस्य हैं लालू प्रसाद की बड़ी बेटी
पटना : यह आम धारणा है कि नेता अवसरवादी होते हैं. चुनाव के समय उनको जनता व क्षेत्र के विकास की याद आती है. फिर चुनाव के बाद वे अपने क्षेत्र को भूल जाते हैं. मगर कुछ सांसद तो हद ही पार कर देते हैं.
जी हां, हम बात कर रहे हैं राजद की राज्यसभा सदस्य मीसा भारती की. लोकसभा चुनाव से पहले यानी इस वर्ष फरवरी माह तक उन्होंने अपने तीन वर्षों के राज्यसभा कार्यकाल में सांसद निधि का उपयोग नहीं किया. तीन वर्षों में किसी योजना की अनुशंसा नहीं की थी.
मगर, जैसे ही लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो लगभग एक माह में एक के बाद एक 15 करोड़ की योजनाओं की अनुशंसा पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के लिए कर दी. लोकसभा चुनाव में वहां से फिर राजद की उम्मीदवार बनीं. अब जब वह लोकसभा चुनाव हार गयीं, तो उन्होंने अपनी ओर से अनुशंसित सारी योजनाओं को रद्द करा दिया है.
योजना कार्यालय को होती परेशानी : जिला योजना पदाधिकारी बताती हैं कि सांसद मीसा भारती की ओर से किसी योजना की अनुशंसा करने के बाद काम का सर्वे कराने, प्राक्कलन कर योजना तैयार कराने, डीपीआर तैयार करने में राशि खर्च के अलावा काफी समय देना पड़ता है. इसके अलावा नीचे से लेकर ऊपर से पेपर वर्क होते हैं. ऐसे में अगर कोई सांसद योजनाओं को रद्द कर देता है तो काफी समस्या हो जाती है. हालांकि, नियमानुसार काम करना हमारी जिम्मेदारी है.
तीन वर्षों से खाते में पड़े थे 2.5 करोड़ रुपये
जिला योजना कार्यालय की मानें तो मीसा भारती की ओर वर्ष 2016-17 से उनके सांसद निधि फंड में ढाई करोड़ रुपये पड़े थे. लेकिन, किसी योजना की अनुशंसा नहीं की गयी.
लेकिन इस साल मार्च महीने में अचानक उनकी ओर से एक-एक कर लगभग 15 करोड़ की योजनाओं की अनुशंसा कर दी गयी. मालूम हो कि एक सांसद को पांच वर्षों तक सालाना पांच करोड़ के हिसाब से 25 करोड़ रुपये दिये जाते हैं. यह राशि एक वर्ष में दो किस्तों 2.50 करोड़ के हिसाब से आती है. यानी मीसा ने शुरुआत से ही 2.50 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया था.
चुनाव से तीन माह पहले सुस्त पड़े थे सांसद
जिले में लोकसभा चुनाव से लगभग तीन माह पहले सांसद अपने विकास फंड को खर्च करने में काफी सुस्त थे. इस कारण क्षेत्र में बहुत सारी योजनाओं पर काम नहीं हुआ था. स्थिति ऐसी है कि रामकृपाल यादव ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर 2016-17 यानी तीन साल तक किसी योजना की अनुशंसा नहीं की थी.
फिर अगले दो वर्षों में (2735.55 करोड़) में कुल 915 योजनाओं की अनुशंसा की गयी थी, जिनमें सिर्फ 815.58 करोड़ का काम पूरा हुआ था. वहीं अभी 305 योजनाओं पर काम होना बाकी है. इनमें लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. इसके बाद चुनाव से ठीक पहले कई योजनाओं की अनुशंसा की गयी, जिन पर काम शुरू किया जाना बाकी है.