पटना : पांच साल से जून में हो रही है सामान्य से कम बारिश

पटना : पिछले पांच साल से जून में कभी सामान्य बारिश नहीं हुई. इससे सबसे अधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है. समय पर धान का बिचड़ा तैयार नहीं होने से समय पर रोपनी नहीं हो पाती है. समय पर रोपनी नहीं होने से उत्पादन भी प्रभावित होता है. पिछले साल धान की फसल प्रभावित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2019 6:59 AM
पटना : पिछले पांच साल से जून में कभी सामान्य बारिश नहीं हुई. इससे सबसे अधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है. समय पर धान का बिचड़ा तैयार नहीं होने से समय पर रोपनी नहीं हो पाती है. समय पर रोपनी नहीं होने से उत्पादन भी प्रभावित होता है. पिछले साल धान की फसल प्रभावित हुई थी.
अभी किसान उस नुकसान से उबरे भी नहीं थे कि इस साल फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. राज्य में जून से सितंबर के बीच अच्छी बारिश होती है, लेकिन पिछले पांच साल से सामान्य से कम बारिश हो रही है. जून में तो स्थिति और खराब रही है. 2018 में जून से सितंबर के बीच 1027.7 एमएम बारिश होनी चाहिए, लेकिन बारिश हुई 771.3 एमएम. यह सामान्य से 25 फीसदी कम है.
इसी साल जून में सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश हुई. जून में 168.5 एमएम बारिश होनी चाहिए, लेकिन बारिश हुई थी 100.7 एमएम. 2017 में थोड़ी स्थिति ठीक रही थी. इस साल सामान्य से नौ प्रतिशत कम बारिश हुई थी. जून से सितंबर के बीच 1027.6 की जगह 936.8 फीसदी बारिश हुई. इस साल जून में सामान्य से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई थी. जून में 168.6 एमएम बारिश होनी चाहिए लेकिन बारिश हुई 84.6 एमएम.
धान की फसल होती है प्रभावित
2016 में स्थिति ठीक रही थी. इस साल सामान्य से मात्र पांच फीसदी कम बारिश हुई थी. 1027.1 एमएम की जगह 971.8 एमएम बारिश हुई. इस साल जून में सामान्य से 24 फीसदी कम बारिश हुई. 168.6 एमएम की जगह 128.8 एमएम बारिश हुई. 2015 में स्थिति खराब थी. इस साल जून से सितंबर के बीच सामान्य से27 फीसदी कम बारिश हुई.
इसी साल जून में सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई. 2014 में भी सामान्य से 17 प्रतिशत कम बारिश हुई. जून में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई. कृषि के जानकार कहते हैं कि बारिश के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं होेने का असर रबी की फसलों पर भी पड़ता है. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को कम पानी में उपज होने वाले धान का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.
किसान मक्का के साथ-साथ सोयाबीन की खेती की ओर मुखातिब हो रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक आरके सोहाने ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण सामान्य से कम बारिश हो रही है. धूप भी तेज हो रही है. सिस्टम में बदलाव हो रहा है. स्थिति पर काबू पाने के लिए हरित क्षेत्र बढ़ाना होगा.

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