पटना : एमबीबीएस छात्रों को अब पहले साल से ही मरीजों की देखरेख सीखनी होगी. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने परीक्षा पैटर्न में बदलाव करते हुए इंटर्नल प्रैक्टिकल की पासिंग मार्क को 17 प्रतिशत बढ़ा दिया है. मतलब 33 फीसदी की जगह अब प्रैक्टिकल की प्रत्येक परीक्षा में 50 फीसदी अंक लाने वाले ही छात्र अगली वार्षिक परीक्षा में बैठ सकेंगे.
प्रैक्टिकल का अधिकांश समय मरीजों के इलाज पर ही दिया जायेगा. मरीजों के साथ किया गया कार्य ही उनका आधार माना जायेगा. इसमें छात्रों को इलाज के साथ मरीज, अपने टीचर व अपने साथ मेडिकल छात्र के साथ कैसे व्यवहार करना है, इसकी जानकारी भी दी जायेगी.
एमसीआइ टीम दे रही नये पैटर्न की जानकारी : एमसीआइ की टीम लगातार बिहार के मेडिकल काॅलेजों में विजिट कर एमबीबीएस छात्रों को नये पैटर्न की जानकारी दे रही है. पीएमसीएच में भी इसके 30 जून तक विजिट का कार्यक्रम है.
कॉलेज प्रशासन की मानें, तो एमसीआइ की टीम कॉलेजों में पहुंच कर एमबीबीएस व पीजी सीट में छात्रों का किस स्तर से पढ़ाई व परीक्षा होती है, इसकी जानकारी ले रही है. कॉलेज प्रशासन की मानें तो इलाज को बेहतर बनाने को लेकर एमबीबीएस की पढ़ाई को प्रैक्टिकल बेस्ड बनाने के लिए परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया है. इससे मरीजों के बेहतर इलाज के आधार पर ही छात्रों का मूल्यांकन होगा.
हर विषय को अब गंभीरता से पढ़ेंगे छात्र : नये पैटर्न के लिए मेडिकल टीचर की लगभग ट्रेनिंग भी हो चुकी है. वहीं, एमसीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक नये पैटर्न के बाद छात्रों को अब सभी विषय गंभीरता से पढ़ने होंगे. एमबीबीएस में पहले साल से ही प्रैक्टिकल विषय जोड़ दिये गये हैं. प्रमुख विषयों के 14 पेपर होते हैं. तिमाही परीक्षा के आधार पर ही इनका इंटर्नल मूल्यांकन किया जायेगा.