मसौढ़ी : पांच वर्षों में खुदवाये दो सौ तालाब
अजय कुमार मसौढ़ी : शहरों में एक ओर जहां तालाबों को भरकर बेचा रहा है वहीं, मसौढ़ी प्रखंड के दर्जनों गांवों के करीब दो सौ युवकों ने बीते पांच वर्षों में सरकार द्वारा प्रोत्साहन पाकर दो सौ से अधिक छोटे-बड़े तालाबों का निर्माण करा न केवल मछलीपालन कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं, […]
अजय कुमार
मसौढ़ी : शहरों में एक ओर जहां तालाबों को भरकर बेचा रहा है वहीं, मसौढ़ी प्रखंड के दर्जनों गांवों के करीब दो सौ युवकों ने बीते पांच वर्षों में सरकार द्वारा प्रोत्साहन पाकर दो सौ से अधिक छोटे-बड़े तालाबों का निर्माण करा न केवल मछलीपालन कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं, बल्कि तालाब के किनारे पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को संतुलित करने का प्रयास भी कर रहे हैं.
वहीं, तालाब में वर्षा के पानी का संचय कर जल संकट के भी समाधान का बीड़ा उठाया है. मसौढ़ी प्रखंड के बलईठा, नदौल, जमालपुर, तिनेरी, धनौती, जतीचक, महादेवपुर, दीधवां, करवां, बसौर,नदौना,भगवानगंज, पोआवां, गोढ़ना,जगदीशपुर, चकलमा,सुपहली, सब्दुल्लाहचक व खरांट में ये तालाब युवाओं द्वारा खुदवाये गये हैं.
वहीं, जिला मत्स्य पदाधिकारी विपिन शर्मा का कहना है कि वर्ष 2014 से सरकार के लगातार प्रयास की वजह से अब तक मसौढ़ी प्रखंड में करीब 400 तालाबों का निर्माण हाे चुका है.
मसौढ़ी प्रखंड के सुपहली गांव के सदय कुमार अपने 16 बीघे की जमीन में आठ तालाबों का निर्माण बीते चार वर्षों में करा लाखों रुपये मछलीपालन से कमा रहे हैं.
वहीं, तालाब व मछलियों की देखभाल के लिए दर्जन भर लोगों को रोजगार भी दे रखा है. इन्होंने बताया कि तालाब के चारों किनारे दर्जनों पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण पर भी बल दे रहे हैं. पोआवां गांव के पिंटू सिंह ने बताया कि वे 16 बीघे जमीन में आठ तालाबों की खुदाई कर मछलीपालन कर रहे हैं. इन तालाबों के जरिये वर्षा के पानी का संचय भी होता है, जो लोगों के काम आता है.
इनके अलावा खरांट गांव के रामाधार पासवान, नगीना पासवान, पोआवां के ब्रजेश सिंह, सुधीर सिंह, मुरारी सिंह, संजय सिंह, गोढ़ना के सुरेश सिंह, भरत सिंह,सुरेंद्र सिंह ,स्वामी प्रसाद सिंह, जगदीशपुर के जितेंद्र सिंह, शेखर सिंह, मंटू कुमार, अनिल कुमार,सबदुल्हचक के वशिष्ठ सिंह,पप्पू सिंह,सतीश सिंह,चकलमा के जितेंद्र कुमार व पिंटू कुमार समेत ऐसे कई लोग हैं जो तालाब निर्माण के साथ मछलीपालन करते हुए उसके चारों ओर पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण व जल संतुलन के लिए अपनी ओर से छोटा-सा प्रयास ही नहीं कर रहे, बल्कि इस दिशा में और युवकों को जोड़ने का भी काम कर रहे हैं.