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पीएम ने कहा- चमकी बुखार से बच्चों की मौत हमारी 70 साल की विफलता, बिहार के सीएम के संपर्क में हूं, खोजेंगे समाधान

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर दुख जताया. कहा कि यह हमारी 70 साल की विफलताओं में से एक है. हम इस समस्या का समाधान खोजेंगे. हम सबको इस बीमारी को गंभीरता से लेना होगा. मैं बिहार के मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं. […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर दुख जताया. कहा कि यह हमारी 70 साल की विफलताओं में से एक है. हम इस समस्या का समाधान खोजेंगे. हम सबको इस बीमारी को गंभीरता से लेना होगा. मैं बिहार के मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं. मैंने हेल्थ मिनिस्टर को भी वहां भेजा है. पोषण, टीकाकरण, आयुष्मान योजना के जरिये पीड़ितों को बाहर निकालने की कोशिश करेंगे.
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए ये बातें कहीं. सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित कर दिया गया. प्रधानमंत्री ने झारखंड में भीड़ द्वारा एक मुस्लिम युवक की हत्या पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि इससे उन्हें पीड़ा पहुंची है.
दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग की इस घटना से वह आहत हैं. हालांकि, इस मुद्दे पर पूरे राज्य को बदनाम करने की कोशिश की आलोचना की. कहा कि यह कहना कि झारखंड मॉब लिंचिंग का अड्डा बन गया है, यह ठीक नहीं है. वहां भी सज्जनों की भरमार है. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. यह किसी भी राज्य में हो सकता है. कानून स्थिति से निबटने में सक्षम है. प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष से नकारात्मकता त्यागने व देश की विकास यात्रा में सकारात्मक योगदान देने की अपील की.
परिवारवाद : सरदार पटेल कांग्रेसी थे, पर दिया सम्मान
पीएम ने कहा सरदार पटेल अगर देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो आज कश्मीर समस्या न होती, उन्होंने 500 रिसासतों को एक किया इसमें कोई दो राय नहीं है. सरदार साहब कांग्रेसी थे और हमने उनकी सबसे बड़ी प्रतिमा गुजरात में बनवायी है.
सुधार : हमने नीति, रीति और प्रवृत्ति को बदल िदया
पीएम मोदी ने कहा कि हमने नीति, रीति और प्रवृत्ति को बदला है. कांग्रेस पांच साल में 25 लाख मकान बनाते थे, हमने डेढ़ करोड़ मकान बनाये हैं. पहले सरकार का काम फीता काटना और दिया जलाना माना जाता था, लेकिन हमने इस नीति को बदला है.
नसीहत: हार का ठीकरा मशीन पर न फोड़ें
मोदी ने कांग्रेस व अन्य दलों द्वारा हार का ठीकरा इवीएम पर फोड़ने वालों पर जम कर हमला बोला. गालिब के शेर ‘ताउम्र गालिब यह भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा ‘ के जरिये विपक्ष पर तीखा तंज भी कसा. कहा कि एक समय भाजपा भी सिर्फ दो सांसदों पर पहुंच गयी थी, लेकिन हमने कभी इस तरह का रोना-धोना नहीं किया. जब खुद पर भरोसा नहीं हो, सामर्थ्य न हो और आत्ममंथन की तैयारी नहीं हो, तो इवीएम पर ठीकरा फोड़ा जाता है. ताकि अपने साथियों को बता सकें कि हमने तो बहुत मेहनत की, लेकिन इवीएम की वजह से हार गये.
िवपक्ष पर : वायनाड, रायबरेली में भी क्या देश हार गया ?
मोदी ने कहा कि यह कहना कहां तक उचित है कि आप चुनाव जीत गये हैं, लेकिन देश हार गया है? क्या यह लोकतंत्र व देश का अपमान नहीं है? क्या वायनाड, रायबरेली में हिंदुस्तान हारा है? कांग्रेस हारी तो देश हार गया यह कौन का तर्क है.
जनादेश पर : क्या तमिलनाडु में भी मीडिया व किसान बिकाऊ हैं?
मोदी ने कहा कि यह तक कहा गया कि मीडिया के कारण हम चुनाव जीत गये, क्या मीडिया बिकाऊ है? जिन राज्यों में हमारी सरकार नहीं है, उनमें भी यही लागू होगा क्या? तमिलनाडु व केरल में भी यही लागू होगा क्या? ऐसे बयान से वोटरों का अपमान किया गया.
ओल्ड इंडिया की मांग पर न्यू इंडिया से परहेज क्यों
मोदी ने कहा, हैरान हूं कि न्यू इंडिया विरोध हो रहा है. हमें आगे बढ़ना है, सवा सौ करोड़ का देश है. हम क्यों नहीं सपने देखें. पर, कुछ लोग कहते हैं कि हमें ओल्ड इंडिया चाहिए, ताकि जल-थल-नभ हर जगह घोटाले करें, टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करें, इंस्पेक्टर राज हो, इंटरव्यू चलते रहें.
एक देश-एक चुनाव: समय की मांग, शुरू से होते रहे हैं सुधार
पीएम ने कहा, एक देश-एक चुनाव को सिरे से खारिज करना ठीक नहीं. विपक्ष इस पर विचार तो करे. 1952 से लगातार चुनाव सुधार हो रहे हैं. यह होते भी रहना चाहिए. सवाल किया जब हम नया भारत बना रहे हैं, तो तकनीक से कहां तक भागेंगे ?
चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में मौत
वर्ष पीड़ित मौत
2010 59 24
2011 121 45
2012 336 120
2013 124 39
2014 342 86
2015 75 11
2016 42 21
2017 42 19
2018 45 10
2019 603 132
(27 जून तक)
(स्रोत – इंटेग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम, सदर अस्पताल, मुजफ्फरपुर)
पांच बार रिसर्च, पर कारण नहीं पता
इस बीमारी की पहचान के लिए अब तक देश-विदेश की स्वास्थ्य एजेंसियों की ओर से पांच बार रिसर्च किये जा चुके हैं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला.

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