पटना : सरकार बागवानी को देगी बढ़ावा, 940 हेक्टेयर में लगेगा आम, लीची व आंवले का बगीचा
किशनगंज में 200 हेक्टेयर में लगेगा अनन्नास पटना : राज्य सरकार बागवानी पर विशेष ध्यान दे रही है. चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में 940 हेक्टेयर में आम, लीची, अमरूद और आंवले का बगीचा लगेगा. साथ ही किशनगंज में 200 हेक्टेयर में अनन्नास की खेती होगी. राज्य में पपीता और केला की बढ़ती मांग को […]
किशनगंज में 200 हेक्टेयर में लगेगा अनन्नास
पटना : राज्य सरकार बागवानी पर विशेष ध्यान दे रही है. चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में 940 हेक्टेयर में आम, लीची, अमरूद और आंवले का बगीचा लगेगा. साथ ही किशनगंज में 200 हेक्टेयर में अनन्नास की खेती होगी. राज्य में पपीता और केला की बढ़ती मांग को देखते हुए इन दोनों फलों की खेती को भी बढ़ावा मिलेगा.
बदलते मौसम और सुखाड़-बाढ़ की विपदा झेल रहे राज्य में किसानों की आर्थिक तरक्की के लिए बागवानी को सरकार बढ़ावा दे रही है. बगीचा में हल्दी की भी खेती हो सकती है. कृषि विभाग ने सघन बागवानी कार्यक्रम के जरिये चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में 750 हेक्टेयर में आम, 100 हेक्टेयर में लीची, 50 हेक्टेयर में अमरूद और 40 हेक्टेयर में आंवला का बगीचा लगाने का लक्ष्य रखा है.
वहीं, 1400 हेक्टेयर में टिश्यू कल्चर केला, 340 हेक्टेयर में पपीता और 200 हेक्टेयर में अनानास की खेती होगी. पिछले वित्तीय वर्ष में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 2.61 लाख से अधिक आम, 36 हजार लीची, 31 हजार अमरूद, 5.83 लाख से अधिक पपीता और 31.69 लाख टिश्यू कल्चर वाले पौधे का वितरण हुआ था.
रूफ टॉप गार्डन को बढ़ावा
कतरनी के लिए बनी योजना
पटना : भागलपुर के प्रसिद्ध धान कतरनी का सुगंध और स्वाद बरकरार रहे इसके लिए कृषि विभाग ने योजना बनायी है. इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय को 4.23 करोड़ की राशि भी उपलब्ध करायी जा रही है.
कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना–रफ्तार के तहत बिहार कृषि विश्वविद्यालय को 423.80 लाख रुपये उपलब्ध कराया जा रहे हैं. इस योजना तहत विश्वविद्यालय को कतरनी चावल का विकास करने पर 373.80 लाख रुपये एवं पोषकतत्वयुक्त विभिन्न अनाजों के उत्पाद के विकास तथा मानकीकरण के लिए 50 लाख रुपये खर्च होंगे. कतरनी में सुगंध के विकास में भूमि और जलवायु के कारकों की भूमिका की भी जांच होगी. मालूम हो कि कतरनी चावल का जीआइ हो चुका है.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से कतरनी की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए किसानों के बीच में शुद्ध बीज की आपूर्ति बनायी रखी जायेगी. विभिन्न प्रशिक्षण, एक्सपोजर विजिट, किसान चौपाल, वीडियो फिल्म आदि के माध्यम से कतरनी चावल के बाजार को प्रोत्साहित किया जायेगा. कतरनी चावल के विकास से कतरनी चावल के प्रबंधन को मानकीकृत करने में मदद मिलेगी.
कतरनी चावल के सुगंध में भूमि और जलवायु के कारकों की भूमिका के डॉक्यूमेंटेंशन करने में मदद मिलेगी. कतरनी धान का गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन किया जायेगा. इसके व्यवसायीकरण में दुरुपयोग, नकली या जालसाजी की जांच के लिए डीएनए फिंगर प्रिटिंग की मदद ली जायेगी.