पटना : बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत पर लाये गये कार्यस्थगन प्रस्ताव पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने सोमवार को विधानसभा में जवाब दिया. मंगल पांडेय ने कहा कि सरकार पूरी तरह संवेदनशील है. एईएस का प्रकोप 1995 से है. दुनिया के कई बड़े अस्पतालों में रिसर्च किया गया है. यह भी बताया कि इस बार बच्चों की मुत्यु दर में कमी आयी है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में ही बीमारी को लेकर गाइड लाइन बनायी गयी है. एईएस को लेकर इस बार बच्चों की मृत्यु दर 21 प्रतिशत है. हर वर्ष लगातार मृत्यु दर में कमी आयी है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार, 28 जून तक 720 मरीज भर्ती हुए. इसमें 586 मरीज ठीक हुए. वहीं, 154 बच्चों की मौत हुई. मृत्यु दर घट कर 21 फीसदी रह गयी है. 2011-19 के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में एईएस के कारण मृत्यु दर कम हुई है. आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सूबे के 12 जिलों के सभी अस्पतालों में व्यवस्था की गयी है. बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. मंगल पांडेय ने कहा कि जागरूकता के लिए पुस्तिका का वितरण किया गया है. लीची की पैदावार करनेवाले जिले के लिए 18 लाख पैंपलेट दिये गये हैं. इनमें 14 लाख बांटे गये हैं. ओआरएस भी बांटा गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया, फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से प्रचार भी किया गया है.