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पटना : पांच जून को सिविल कोर्ट परिसर में हुई थी मिराज को भगाने की प्लानिंग

गोली-पिस्टल उपलब्ध कराने के लिए मुनौवर और जितेंद्र ने की थी मदद पटना : दानापुर कोर्ट में फायरिंग कर कांस्टेबल प्रभाकर राज की हत्या व वाहन लूट के मामले के आरोपित मिराज ने पांच जून को पटना सिविल कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस हिरासत से भागने की इच्छा जतायी थी और उसने रेशमा से […]

गोली-पिस्टल उपलब्ध कराने के लिए मुनौवर और जितेंद्र ने की थी मदद
पटना : दानापुर कोर्ट में फायरिंग कर कांस्टेबल प्रभाकर राज की हत्या व वाहन लूट के मामले के आरोपित मिराज ने पांच जून को पटना सिविल कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस हिरासत से भागने की इच्छा जतायी थी और उसने रेशमा से मुलाकात के दौरान गया के गौतम का मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया था.
उसने रेशमा को यह बताया था कि उसके खिलाफ कई केस हैं, जिनमें जमानत लेते-लेते तीन-चार साल हो जायेंगे. वह इतने दिन जेल में नहीं रहना चाहता है. उसकी अगली पेशी 10 जुलाई को दानापुर कोर्ट में होगी और वहां से भागने का पूरा इंतजाम करना होगा. यह खुलासा पुलिस के समक्ष दिये गये स्वीकारोक्ति बयान में मिराज ने किया है. मिराज ने अपने बयान में बताया है कि रेशमा को यह भी जानकारी दी थी कि मुनौवर के पास उसका पिस्टल है और गोली जितेंद्र के पास है. पिस्तौल और गोली लेकर गौतम को देने को कहा था. इस पर रेशमा ने मुनौवर से पिस्तौल और जितेंद्र से गोली लेकर गौतम को दे दिया. इसके साथ ही मो मिराज के एक और दोस्त शहाबुद्दीन से भी रेशमा ने संपर्क किया और उसे भी मिराज की इच्छा बतायी थी.
इसके बाद गौतम, शहाबुद्दीन, मनौव्वर व रेशमा दानापुर कोर्ट में पहुंचे थे और पेशी के बाद मिराज के कैदी वाहन में चढ़ कर जेल जाने का इंतजार कर रहे थे. मिराज जैसे ही पहुंचा, वैसे ही गौतम ने फायरिंग की थी और मिराज भागने लगा. इसी बीच गौतम ने पिस्टल मिराज को थमा दिया और उसने फायरिंग कर दी, जिसमें कांस्टेबल प्रभाकर राज शहीद हो गये.
– गौतम, शहाबुद्दीन की तलाश : पुलिस टीम लगातार गौतम व शहाबुद्दीन को पकड़ने के लिए पटना से लेकर गया तक छापेमारी कर रही है. इन दोनों के परिजनों को भी पुलिस ने उठाया है. एसआइटी को शक है कि दोनों बिहार छोड़ कर फरार हो गये हैं.
– दानापुर कोर्ट हाजत की होगी घेराबंदी: दानापुर कोर्ट गोलीकांड के बाद सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. कोर्ट हाजत की सुरक्षा को लेकर चारों ओर से चहारदीवारी कर घेराबंदी की जायेगी. कैदी वाहन को बाउंड्री के अंदर ले जाकर सुरक्षित कैदियों को हाजत में पेश किया जायेगा.
बयान में लूट की बात स्वीकारी
अपने बयान में मिराज उर्फ रिंकू ने वाहन लूट की बात को भी स्वीकार किया है. उसकी दोस्ती कुछ दिन पहले मिराज उर्फ मुन्ना से हुई थी और उसने मुन्ना को यह बताया था कि वाहन लूटने में काफी फायदा है. इसके बाद दोनों ने मिल कर वाहन लूट की घटना को अंजाम देना शुरू कर दिया. जबकि लूटे गये वाहनों को ठिकाने लगाने में बबलू, पंकज व रोहित द्वारा मदद किये जाने की बात को भी स्वीकार किया है. फिलहाल इन सभी में रोहित फरार है.
भेजा गया एफएसएल पटना पुलिस अब मिराज को इस केस मेंसजा दिला कर रहेगी. इसके लिए तमाम साक्ष्य जुटाये जा रहे हैं. इसी के तहत पिस्टल व घटनास्थल से मिले खोखे को जांच के लिए एफएसएल भेज दिया गया है. पिस्टल की बैलेस्टिक रिपोर्ट से यह सिद्ध हो जायेगा कि उसी से गोली चली थी. इससे मिराज को सजा दिलाने में काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के वीडियो फुटेज को भी एकत्र कर लिया गया है.
डीआइजी सेंट्रल राजेश कुमार के अनुसार इस केस को स्पीडी ट्रायल में डाला जायेगा और जल्द-से-जल्द उसे फांसी की सजा दिलायी जायेगी.
शहीद मुकेश को पुलिसकर्मियों ने दिया था एक दिन का वेतन
मुकेश की मौत के बाद आइजी से लेकर कांस्टेबल तक ने परिजनों को एक दिन का वेतन दिया था. सभी के एक दिन का वेतन व अन्य राशि मिला कर 75 लाख हो गयी थी. लेकिन प्रभाकर राज के शहीद होने के बाद फिलहाल एक दिन के वेतन देने की घोषणा अब तक नहीं की गयी है.
मिराज ने मुचकुन की हत्या के लिए भर दी थी हामी
पटना : मिराज 2018 में धीरे-धीरे पटना के अपराध की दुनिया में लगातार अपनी पहचान बनाता जा रहा था. सूत्रों के अनुसार इस दौरान उसने फुलवारी के एक कुख्यात अपराधी के कहने पर बिहटा के कुख्यात अपराधी मुचकुन की हत्या के लिए भी हामी भर दी थी. कुख्यात ने उसे मुचकुन की हत्या के लिए एक लाख की सुपारी देने की बात को स्वीकार किया था. उस कुख्यात की मुचकुन से एक विदेशी पिस्टल को लेकर विवाद था.
लेकिन बाद में उसने पैसे देने से इन्कार कर दिया तो मिराज ने मुचकुन की हत्या की बात को लीक कर दिया और बिहटा के कुख्यात अपराधी माणिक को बता दिया. माणिक व मुचकुन का गिरोह उस समय एक साथ था और हत्या की योजना की बात मुचकुन तक पहुंच गयी. इसके बाद मुचकुन ने फुलवारी के उस कुख्यात की हत्या करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सका. एक तरह से मिराज अपनी आपराधिक पहचान को पुख्ता करने के लिए मुचकुन की हत्या के लिए तैयार हो गया था. ताकि उसका नाम पटना के अपराधियों के बीच लिया जा सके.

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