पटना : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार राज्य में शिक्षा और छात्रों के भविष्य के साथ क्रूर मजाक कर रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर गंभीर आरोप लगातेहुए कहा कि सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार में तकनीकी शिक्षा का हाल भी बेहाल है.
कुशवाहा ने आरोप लगाया कि पोलिटेकनिक संस्थानों के नाम पर भी अलग तरह का खेल हो रहा है और तकनीकी शिक्षा को भी राज्य सरकार ने मजाक बना कर रख दिया है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पोलिटेकनिक संस्थान खोलने के नाम पर सरकार आंकड़े गिनवा कर अपनी पीठ थपथपा तो लेती है, लेकिन उन संस्थानों में शिक्षा का स्तर क्या है, इस पर सरकार का ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा कि कई कैंपस में तो एक साथ कई-कई संस्थान चल रहे हैं, लेकिन इस पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं है.
उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि सरकार की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि इन संस्थानों में शिक्षकों की कमी तो है ही, प्राचार्य भी कई संस्थानों में नहीं हैं और सरकार ने एक ही प्राचार्य को दो जगहों का प्रभार दे रखा है जिससे सरकार की नीयत पर सवाल उठता है. उन्होंने सरकार के नोटिफिकेशन का जिक्र करते हुए बताया कि सरकार ने छपरा के संस्थान के प्राचार्य को औरंगाबाद के संस्थान का भी प्रभार दे रखा है, इसी तरह गुलजारबाग के प्राचार्य को भोजपुर का, पटना के प्रचार्य को जहानाबाद का और नवादा के प्राचार्य को अरवल का प्रभार दे रखा है. इससे समझा जा सकता है कि सरकार बिहार में तकनीकी शिक्षा को लेकर कितनी गंभीर है.
कुशवाहा ने कहा कि किसी भी संस्थान या कालेज की प्रशासनिक व्यवस्था की देखरेख प्राचार्य के जिम्मे होती है, लेकिन इन संस्थानों में प्रभारी बना कर महज खानापुरी की जा रही है. उन्होंने सवाल उठाया कि छपरा के प्राचार्य औरंगाबाद में किस तरह से एक ही दिन मौजूद रहेंगे, इससे समझा जा सकता है कि सरकार शिक्षा को लेकर कितनी गंभीर है. रालोसपा 2017 से बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सवाल पर आंदोलनरत है.
उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार सरकार के स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड में कियेगये बदलाव पर भी गंभीर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना के प्रावधानों में बदलाव कर बिहार के छात्रों के साथ भद्दा और क्रूर मजाक किया है. बिहार सरकार ने पांच जुलाई, 2019 को नोटिफिकेशन जारी कर बदलाव की बात कही है, उपेंद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया कि ऐसा अभी क्यों किया गया. छात्रों का दाखिला जून या जून से पहले ही हो जाता है और बिहार के हजारों छात्रों ने इस योजना को ध्यान में रखते हुए कर्ज लेकर विभिन्न संस्थानों में दाखिला लिया था. राज्य से बाहर पढ़ने वाले बच्चों को चार लाख रुपया देने की बात कही थी. छात्रों ने इसे देखते हुए राज्य से बाहर दाखिला ले लिया था लेकिन अब सरकार ने शर्तों में बदलाव किया है.
उन्होंने कहा कि जिन छात्रों ने गड़बड़ की, सरकार उन्हें पकड़े लेकिन अब जो अलग से शर्त लगा रही है वह ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जो भी शर्त लगानी थी दाखिले से पहले लगानी थी. अब सरकार शर्त लगा रही है जब छात्रों ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से कर्ज ले लिया और विभिन्न संस्थानों में दाखिला ले लिया. बच्चों के भविष्य को लेकर यह क्रूर मजाक है क्योंकि सरकार ने बहुत देर से फैसला लिया.
कुशवाहा ने कहा कि दरअसल सरकार की मंशा बस इतनी है कि, जिस तरह से उन्होंने प्रचारित किया था और कर्ज लेने वाले बच्चों की तादाद बहुत हो गयी है और सरकार की झोली खाली है. बजट में कोई प्रावधान नहीं रखा और बैंकों ने मना कर दिया तो सरकार अब इस तरह की शर्त लगा रही है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार इस बार अपनी शर्तों को वापस ले, जिन बच्चों ने दाखिला ले लिया है उनके भुगतान का कोई रास्ता निकाले. ऐसे छात्रों को कर्ज की सुविधा मिलनी चाहिए क्योंकि वे गरीब घर के बच्चे हैं, उनके भविष्य का सवाल है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस बार पुराने प्रावधानों के तहत ही बच्चों का भुगतान किया जाए और अगले सत्र से नयी शर्तों को लागू की जाए.