पटना : राजधानी पटना स्थित किलकारी भवन में आयोजित समारोह में फिल्म ‘सुपर 30’ के बाल कलाकारों व उनके अभिभावकों को सम्मानित करने के बाद उन्हें संबोधित करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पहली बार बिहार पर केंद्रित फिल्म ‘सुपर 30’ में बिहार की सकारात्मक छवि पेश की गयी है. इसके पहले गंगाजल, अपहरण, गैंग आॅफ वासोपुर आदि फिल्मों में अपराध, अपहरण आदि को आधार बना कर बिहार को चित्रित किया गया था. दामुल, शूल और हिप-हिप हुर्रे जैसी फिल्में बिहारी फिल्मकार द्वारा जरूर बनायीगयी थी, मगर उनकी कहानियां बिहार से जुड़ी हुई नहीं थीं.
सुशील मोदी ने सुपर 30 को सफल फिल्म बताते हुए कहा कि पिछले छह दिन में ही 100 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है यह फिल्म देश और दुनिया के 3 हजार स्क्रीन पर दिखाई जा रही है. कुल राजस्व का 70 फीसदी भारत और 30 प्रतिशत विदेशों से संग्रह हो रहा है. सुपर 30 फिल्म के छात्र कलाकारों के लिए देश के अनेक स्थानों पर 35 हजार लोगों के आॅडिशन लिए गए मगर अन्त में 30 बच्चों का चयन बिहार सरकार की शिक्षा विभाग से सम्बद्ध संस्था किलकारी से किया गया, जिनमें 5 बच्चे आनंद कुमार के छात्र रह चुके थे.
फिल्म में शानदार अभिनय कर चुके सभी बच्चों की पारिवारिक पृष्ठभूमि अत्यंत गरीब व सामान्य वर्ग की है. इन बच्चों ने यह साबित किया है कि अगर उन्हें अवसर मिले तो वह अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया को मनवा सकते हैं. सरकार भी ऐसे बच्चों की मदद के लिए पूरी तरह से तत्पर है. बिहार सरकार द्वारा टैक्स फ्री की गयी इस फिल्म को अधिक से अधिक लोगों को देखना चाहिए. वंचित, कमजोर वर्ग के बच्चों की सुपर 30 के माध्यम से आईआईटी जैसी संस्था में पढ़ने की ख्वाहिश को साकार करने में अहम भूमिका निभाने वाली संस्था सुपर 30 और उसके मेंटर आनंद कुमार पर केंद्रित यह फिल्म न केवल बिहारी प्रतिभाओं को सम्मान देती है बल्कि बिहार के गौरव को भी बढ़ाती है.