नयी दिल्ली : बिहार में आयी बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग करते हुए राज्यसभा में शुक्रवार को कुछ सदस्यों ने केंद्र से राज्य सरकार तथा पड़ोसी देश नेपाल के साथ मिल कर हर साल आनेवाली इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने का अनुरोध किया.
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए जेडीयू के रामनाथ ठाकुर ने कहा, ”बिहार के 12 जिले, 571 पंचायतें और 80 प्रखंड भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. लोगों का जीना दूभर हो रहा है. हर ओर पानी ही पानी है और बीमारियां फैल रही हैं.” ठाकुर ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच ऊंचे बांध का निर्माण होना था, लेकिन यह परियोजना लंबे समय से अटकी हुई है. ऊंचे बांध के निर्माण से राज्य में हर साल आनेवाली बाढ़ पर काफी हद तक रोक लगायी जा सकती है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस बारे में पड़ोसी देश नेपाल से संपर्क कर परियोजना को शीघ्र अमल में लाने तथा बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया.
इसी मुद्दे पर बीजेपी के सीपी ठाकुर ने कहा कि उत्तर बिहार के 16 जिलों में बाढ़ का पानी भरा है और करीब 26 लाख लोग बेघर हो चुके हैं. राज्य को हर साल इस स्थिति का सामना करना पड़ता है. ठाकुर ने कहा, ”बहुत पहले तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने नक्शे सामने रख कर नदियों के उद्गम और प्रवाह का जिक्र करते हुए बताया था कि इस प्राकृतिक आपदा का हल असंभव नहीं है. इसके लिए नदियों को जोड़ना जरूरी है, ताकि बारिश के दिनों में नदियों में आया अतिरिक्त पानी सूखेवाले इलाकों में भेजा जा सके.” ठाकुर ने नदी जोड़ो परियोजना पर काम में तेजी लाने, बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और केंद्र सरकार से राज्य सरकार तथा नेपाल सरकार के साथ मिल कर बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान निकालने का अनुरोध किया.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन इसे ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ घोषित करने का प्रावधान है. विभिन्न दलों के सदस्यों ने बिहार में बाढ़ के मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. गौरतलब है कि नेपाल से निकलनेवाली कई छोटी-बड़ी नदियां बिहार में आती हैं और गंगा नदी में मिलती हैं. बारिश से इन नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और बाढ़ का कारण बनता है.