तीन तलाक पर BJP के साथ नहीं JDU, लोकसभा में विधेयक का किया विरोध

नयी दिल्ली : केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी तीन तलाक पर रोक संबंधी विधेयक का विरोध करते हुए गुरुवार को कहा कि किसी समुदाय विशेष से जुड़े विषय पर कानून बनाने की नहीं, जन-जागरण की जरूरत है. लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2019 5:29 PM

नयी दिल्ली : केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी तीन तलाक पर रोक संबंधी विधेयक का विरोध करते हुए गुरुवार को कहा कि किसी समुदाय विशेष से जुड़े विषय पर कानून बनाने की नहीं, जन-जागरण की जरूरत है.

लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019′ पर चर्चा में भाग लेते हुए जेडीयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि समाज सिर्फ कानून से नहीं चलता, रीति-रिवाज और परंपराओं से भी चलता है. सिंह के भाषण के बाद जेडीयू सदस्यों ने विधेयक पर विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट किया. जेडीयू सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी 1996 से एनडीए में है और आज भी गठबंधन में है. जेडीयू बीच में कुछ साल गठबंधन से अलग रही. उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही हमारी पार्टी का स्पष्ट मत था कि विवादास्पद मुद्दों पर भाजपा का साथ नहीं देगी.

सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी का मत है कि कश्मीर पर अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, अयोध्या मामले का समाधान अदालत में या आपसी सहमति से होना चाहिए और समान नागरिक संहिता से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी तरह तीन तलाक के मुद्दे पर भी हमारी पार्टी सरकार के साथ नहीं है. जेडीयू सदस्य ने कहा कि पति-पत्नी के संबंधों को कानून बनाकर तय नहीं किया जा सकता. अगर कानून से किसी प्रथा को रोकने का प्रयास किया जायेगा, तो एक समुदाय में अविश्वास पैदा होगा. सरकार को कानून बनाने के बजाय उस समुदाय को इस संबंध में प्रयास करने देने चाहिए और जन जागृति करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सरकार को हड़बड़ी में कानून बनाने की जरूरत नहीं है. ऐसा काम मत कीजिए. ऐसे कानून का दुरुपयोग होगा, जैसा कि दहेज प्रथा को रोकने के लिए बनाये गये कानून का होता है. सिंह ने यह भी कहा कि सरकार को जनादेश मिला है, तो उसके पास करने के लिए बहुत सारे काम हैं. इस तरह के विधेयक चुनाव से पहले लाये जा सकते हैं. अभी इनकी क्या जरूरत है.

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